Lok Sabha Election 2024: हजारीबाग सीट से आखिरकार खत्म हो गई सिन्हा परिवार की दावेदारी
Lok Sabha Election 2024: साल 1998 के लोकसभा चुनाव में जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा हजारीबाग से चुनाव जीते थे. कारगिल युद्ध के बाद हुए चुनाव में भी यशवंत सिन्हा ने इस सीट से बाजी मार ली. हालांकि 2004 में यशवंत सिन्हा हजारीबाग में कमल नहीं खिला पाए थे. 2009 में वे एक बार फिर विजयी हुए. उसके बाद पार्टी ने 2014 और 2019 में उनके बेटे को उम्मीदवार बनाया और दोनों बार जयंत सिन्हा ने जीत दर्ज की.
Lok Sabha Election 2024: जयंत सिन्हा की रजामंदी से ही सही, हजारीबाग सीट से सिन्हा परिवार की दावेदारी अब खत्म हो गई है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हजारीबाग सीट से जयंत सिन्हा का टिकट काटकर सदर विधायक मनीष जायसवाल को मैदान में उतारा है. इस सीट पर सिन्हा परिवार की पिछले 25 सालों से पार्टी की ओर से दावेदारी रही है. 1998, 1999, 2009 और 2014 के अलावा 2019 में सिन्हा परिवार ने इस सीट पर जीत का झंडा बुलंद किया था, लेकिन इस बार यह जिम्मेदारी पार्टी ने सदर विधायक मनीष जायसवाल को सौंप दी है. माना जा रहा है कि पिछले दिनों पार्टी की ओर से किए गए आंतरिक सर्वे में मनीष जायसवाल को जयंत सिन्हा की तुलना में ज्यादा पसंदीदा उम्मीदवार बताया गया था.
1998 के लोकसभा चुनाव में जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा हजारीबाग से चुनाव जीते थे. कारगिल युद्ध के बाद हुए चुनाव में भी यशवंत सिन्हा ने इस सीट से बाजी मार ली. हालांकि 2004 में यशवंत सिन्हा हजारीबाग में कमल नहीं खिला पाए थे. 2009 में वे एक बार फिर विजयी हुए. उसके बाद पार्टी ने 2014 और 2019 में उनके बेटे को उम्मीदवार बनाया और दोनों बार जयंत सिन्हा ने जीत दर्ज की. 2019 में तो जयंत सिन्हा ने पौने 5 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की. हालांकि अब 2024 के लिए पार्टी ने जयंत सिन्हा का टिकट काटकर हजारीबाग से विधायक मनीष जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है. इस तरह इस सीट से अब सिन्हा परिवार की दावेदारी खत्म हो गई है.
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हजारीबाग सीट की बात करें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी 7 बार चुनाव जीत चुकी है. 1989 में यदुनाथ पांडे ने सबसे पहले यहां भगवा लहराया था. 1991 में भाजपा यहां से हार गई थी पर 1996 में एमएल विश्वकर्मा ने भारतीय जनता पार्टी के लिए जीत का झंडा लहराया था. उसके बाद 1998 से इस सीट पर सिन्हा परिवार लगातार चुनाव जीतता आ रहा है. हालांकि 2004 में भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने बतौर भाकपा उम्मीदवार भाजपा को यहां मात दी थी.