Bihar Politics: कांग्रेस को तोड़ने की बात हो रही थी, अब जेडीयू पर ही आ गई आफत! क्या वाकई लालू-तेजस्वी खेला कर पाएंगे?
Bihar Politics News: अवध बिहारी चौधरी के इस्तीफा न देने को भी राजनीतिक खेला से जोड़कर देखा जा रहा है. इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी राजद विधायक दल की बैठक में कहा था कि खेला अभी शुरू हुआ है और बहुत कुछ होना बाकी है. जाहिर है तेजस्वी के तेवर किस बात की ओर इशारा कर रहे थे.
Bihar Politics: बिहार में जो राजनीतिक तूफान दिसंबर से उठा हुआ है, वह 12 फरवरी को विश्वास मत के बाद ही खत्म हो पाएगा. इस बीच बयानबाजियों का दौर जारी है. शह मात का दौर जारी है. दावे प्रतिदावे किए जा रहे हैं. सब एक दूसरे को तोड़ने की बात कर रहे हैं. कांग्रेस और राजद की ओर से जेडीयू को तो भाजपा और जेडीयू की ओर से कांग्रेस और राजद को तोड़ने की बात कही जा रही है. जब नीतीश कुमार ने पलटी मारकर एनडीए का रास्ता अख्तियार किया था, तब कांग्रेस विधायकों के टूटने के दावे किए जा रहे थे.
यहां तक कहा गया कि पूर्णिया में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में केवल 7 विधायक ही पहुंचे थे. कांग्रेस ने आनन फानन विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया. हालांकि उसके 3 विधायक अभी बिहार में ही हैं. कांग्रेस विधायकों के हैदराबाद शिफ्ट होने के बाद अब महागठबंधन की ओर से जवाबी हमला हो रहा है. रोजाना कांग्रेस और राजद के विधायकों की ओर से जेडीयू विधायकों को तोड़ने के दावे किए जा रहे हैं.
और तो और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने बुधवार को यह कहकर पटना का राजनीतिक पारा और गर्म कर दिया कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा. अवध बिहारी चौधरी के इस्तीफा न देने को भी राजनीतिक खेला से जोड़कर देखा जा रहा है. इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी राजद विधायक दल की बैठक में कहा था कि खेला अभी शुरू हुआ है और बहुत कुछ होना बाकी है. जाहिर है तेजस्वी के तेवर किस बात की ओर इशारा कर रहे थे.
तो क्या वाकई लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव मिलकर जेडीयू विधायकों को तोड़ने में सफल हो जाएंगे. इधर, एनडीए की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि सभी विधायक एकजुट हैं और 12 फरवरी को नीतीश कुमार आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेंगे. दिल्ली से लौटे सम्राट चौधरी ने तो यह भी कह दिया कि हमें किसी विधायक की जरूरत नहीं है. दो दल की सरकार है और हमारे साथ हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा भी शामिल है तो हमें 128 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. अब हमें किसी की जरूरत नहीं है.
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जेडीयू विधायकों को तोड़ने की बात की तब खबर लगी थी, जब नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री थे और खबर मिली थी कि पटना में 12 विधायकों की बैठक हुई थी. इन 12 विधायकों में से किसी ने नीतीश कुमार को खबर दे दी थी और उसके बाद से ही नीतीश कुमार का मन उखड़ा उखड़ा हुआ लगने लगा था. अंत में उन्होंने एनडीए में आने का फैसला ले लिया और लोकसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी का आलाकमान भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत हो गया.
अब देखना यह है कि 12 फरवरी को क्या होता है. क्या लालू तेजस्वी कुछ खेला कर पाएंगे या फिर नीतीश कुमार और भाजपा का वेलेंटाइन यूं ही आगे बढ़ता रहेगा.