पटना : वर्तमान में लोकसभा चुनाव का समय चल रहा है और इससे पहले ही मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है. इस निर्णय के तहत बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मोदी सरकार ने यह निर्णय लोकसभा चुनाव से पहले ही घोषित किया है और इसे एक बड़े दांव के रूप में देखा जा रहा है. कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्हें मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न से नवाजा जाएगा. इससे पहले भी उन्होंने अपने जीवन में समर्पितता और राष्ट्रभक्ति के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की थी. मोदी सरकार का यह निर्णय चुनाव से पहले एक बड़ा कदम है जो सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया है.


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कौन थे कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नायक थे. उनका जन्म 24 दिसम्बर 1889 को उत्तर प्रदेश के मुझफ्फरपुर जनपद में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित गंगा प्रसाद था, जो एक विद्वान और आध्यात्मिक व्यक्ति थे. कर्पूरी ठाकुर को बचपन से ही धार्मिक और राष्ट्रभक्ति के आदान-प्रदान के साथ पाला गया. कर्पूरी ठाकुर का जीवन संघर्षपूर्ण था और उन्होंने देश के स्वतंत्रता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया. उनका समर्थन गांधीजी के विचारों से था और उन्होंने भी अपने प्रयासों के माध्यम से अपार लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में जुटाने का कार्य किया.


असहयोग आंदोलन में सक्रिय थे कर्पूरी 
1920 में जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, तो कर्पूरी ठाकुर भी इसमें सक्रिय रूप से शामिल हुए. उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ सामूहिक असहयोग और अच्छूत अंधोलनों में भाग लिया. इसके परिणामस्वरूप, उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन वे अपने संकल्प से कभी नहीं हटे. कर्पूरी ठाकुर का एक महत्वपूर्ण क्षण 1922 में आया जब उन्होंने चौरी-चौरा कांड में भाग लिया. चौरी-चौरा में भी गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था, लेकिन एक समूह ने अंग्रेजी पुलिसकर्मियों पर हमला किया और अग्नि दी. इसके बाद गांधीजी ने आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने इसमें हिस्सा नहीं लिया और आगे भी अपने साथी स्वतंत्रता सैनिकों के साथ समर्थन जारी रखा.


समाज को सुधारने के लिए उठाएं कई कदम
कर्पूरी ठाकुर का योगदान सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम में ही नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज में सुधार के लिए भी कई कदम उठाए. उन्होंने अच्छूतों और दलितों के अधिकारों की रक्षा की और उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए काम किया. उनका मानवता के प्रति समर्पण उन्हें एक सच्चे राष्ट्रनायक बनाता है. स्वतंत्रता मिलने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने भारतीय राजनीति में भी अपना सक्रिय योगदान दिया. उन्होंने अनेक बार उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य चुने जाने का सौभाग्य प्राप्त किया और कई विभाजनों में भी भाग लिया. कर्पूरी ठाकुर ने अपने प्रेरणादायक और सामर्थ्यपूर्ण नेतृत्व के लिए भी पहचान बनाई. उन्हें "पूर्व के चार राज्यों के दिल" कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपनी भूमिका से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच मित्रता को मजबूत किया.


17 फरवरी 1970 में कर्पूरी ठाकुर का हुआ था निधन
कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1970 को हुआ, लेकिन उनका योगदान और उनकी आत्मा आज भी हमारे देशवासियों के दिलों में बसा हुआ है. उनकी साहसपूर्ण राष्ट्रभक्ति और समर्पण ने भारतीय समाज को सजीवन दिशा दी और हमें एक आदर्श नेता की मिसाल प्रदान की. इस प्रकार कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन से हमें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता के रूप में याद रखा गया है.


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