मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा में 800 करोड़ की लागत से बना जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का बुरा हाल है. स्थापना काल से ही जेएनकेटी अस्पताल अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर आंसू बहा रहा है. वहीं स्थानीय लोगों की माने तो अस्पताल में चिकित्सक और संसाधनों की घोर अभाव है. इतना ही नहीं चिकित्सकों और कर्मचारियों के अभाव में पिछले दो वर्षो से अस्पताल के एमआरआई सेंटर और अल्ट्रासाउंड सेंटर में ताला जड़ा है. 


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आलम यह है कि ओपीडी के कई कमरे और एक्स रे सेंटर पीकदान में तब्दील हो गई है. भले ही अस्पताल प्रबंधन अस्पताल में मरीज और उनके परिजन समेत स्टाफ के लिए सुध पेयजल और साफ सफाई को लेकर अपनी सफाई दे रहे हों, लेकिन यहां की हकीकत कुछ और ही बयां कर रहा है. खासकर ओपीडी के चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. साफ सफाई का भी कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. 


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अगर हम 800 करोड़ की लागत से बना अस्पताल भवन की बात करें तो यह अस्पताल सिर्फ व सेल्फी प्वाइंट और रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है. न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरो सर्जन चिकित्सक के अभाव में अल्ट्रासाउंड तथा एमआरआई आदि महंगे जांच मरीजों को बाहर से मोटी रकम देकर करवाना पड़ता है. इतना नहीं न्यूरोसर्जन चिकित्सक के अभाव में गंभीर मरीजों को सीधा पीएमसीएच और डीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. जिससे मरीज जाते जाते रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. इन तमाम समस्याओं को लेकर यहां के स्थानीय लोग कई बार सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मिलकर समस्याओं के निजात हेतु, मजबूती से अपनी बात रख चुके हैं. जब समस्याओं का निदान नहीं हुआ तो मजबूरन अब स्थानीय लोग एक नागरिक मंच के तत्वाधान में आंदोलन पर उतारू हैं. 


ज्ञात हो कि जब सीएम नीतीश कुमार से मिलकर मधेपुरा के पूर्व मुखिया अनिल अनल ने सीएम के जनता दरबार में अपनी मांग रखी थी और समस्याओं की निदान हेतु सीएम से गुहार भी लगाया था. लिहाजा सीएम नीतीश कुमार अपने अधिकारी को जल्द समस्याओं की निजात हेतु निर्देश भी दिए थे, लेकिन आज तक स्थिति यूं ही बरकरार है. हद की इंतहा तो यह है कि सीएम ने खुद अपने अधिकारी को कहा हम जिले बार मेडिकल कॉलेज अस्पताल खोलने की बात कर रहे हैं और स्थिति यह है कि मधेपुरा के जेएनकेटी अस्पताल में चिकित्सक ही नहीं है.


ऐसे में अन्य जगहों पर अस्पताल खोलने से क्या फायदा होगा, इन समस्याओं को जल्द निदान कीजिए. बता दें कि जब मधेपुरा के जेएनकेटी अस्पताल का उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार ने किया था. तब उस वक्त भी उन्होंने अपने संबोधन में खुद कहा था कि अब कोसी और सीमांचल के लोगों को इलाज के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह जेएनकेटी अस्पताल मधेपुरा के लिए एक वरदान साबित होगा. लेकिन वरदान तो दूर मधेपुरा का यह जेएनकेटी अस्पताल अभिशाप हीं साबित हो रहा है. मजबूरन लोग आंदोलन को बाध्य हो रहे हैं. जरा आप भी सुनिए क्या कुछ बयां कर रहे हैं स्थानीय लोग और अस्पताल अधीक्षक.


इनपुट- शंकर कुमार, मधेपुरा


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