Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 15 मार्च, 2024 दिन शुक्रवार को कैबिनेट हुई. इस बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी. साथ ही दरभंगा प्रमंडल के तीनों जिलों बाढ़ और जलजमाव की सुरक्षा के लिए जल संसाधन प्रबंधन योजना तैयार करने के जल संसाधन विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई. इसकी जानकारी जदयू राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने दिया.


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जदयू राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जानकारी दी. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा- 'हमें खुशी है कि दरभंगा प्रमंडल के तीनों जिलों- दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर में बाढ़ और जलजमाव से सुरक्षा और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन योजना तैयार करने के जल संसाधन विभाग के प्रस्ताव को आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल गई है.'


उन्होंने आगे लिखा कि जल संसाधन विभाग अब दरभंगा प्रमंडल के दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर जिलों के प्राकृतिक जल संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन के लिए आधुनिकतम तकनीक यथा लिडार सर्वे, रिमोट सेंसिंग, मॉडल स्टडीज, भौतिक निरीक्षण का उपयोग करते हुए विस्तृत योजना प्रतिवेदन तैयार कराएगा. इस तरह का प्रस्ताव तैयार करने का काम पिछले साल से ही चल रहा था. 


सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि एकीकृत जल प्रबंधन के तहत कमला सिंचाई परियोजना और पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के विस्तारीकरण, नवीकरण और आधुनिकीकरण कार्य के साथ-साथ जलजमाव वाले क्षेत्रों से जलनिकासी में सुधार और विकास, सिंचाई सुविधाओं के विकास, बाढ़ न्यूनीकरण और जल निस्सरण को एक साथ शामिल करते हुए विस्तृत योजना तैयार की जाएगी.


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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि दरभंगा प्रमंडल के तीनों जिलों- दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर में उपलब्ध जल संसाधनों का विकास, संरक्षण और इष्टतम उपयोग करते हुए क्षेत्र में बाढ़ के प्रभाव को न्यूनतम किया जाये. इसके लिए जल निकासी में सुधार, भूगर्भ जल का पुनर्भरण, मृतप्राय आहर-पइनों आदि का पुनर्जीवन, मौजूदा नहर प्रणाली का विस्तार, नवीकरण और आधुनिकीकरण, नहर संचालन हेतु आधुनिक स्काडा प्रणाली की स्थापना से जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा. सिंचाई सुविधा मिलने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी. साथ ही जलजमाव वाले क्षेत्रों से जल निकासी कर और बाढ़ प्रवण क्षेत्रों को सुरक्षित कर कृषि भूमि के विकास हेतु संभावना तलाशने और तकनीकी-आर्थिक संभाव्यता के आधार पर संबंधित योजना के निर्माण में सुविधा होगी.