हालांकि, एक समस्या अब भी यहां पर स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को देखना पड़ रहा है, वो है बस स्टैंड. उम्मीद है कि इस मुश्किल का हल भी जल्द हो जाएगा. क्योंकि बेरिया स्थित पाटलिपुत्र बस स्टैंड में जल्द ही बसों का संचालन शुरू हो जाएगा.
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Patna: बिहार के चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, पटना यानी (CIMP),निफ्ट (NIFT),चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU), ये वो शैक्षणिक संस्थान हैं जहां पढ़ने की हसरत हर छात्रों की होती है और संयोग से ये सभी पटना के मीठापुर इलाके में एक कतार में मौजूद हैं. सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता बल्कि मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की भी शानदार बिल्डिंग इसी मीठापुर इलाके में ही बन रही है. यानी एक साथ पांच बड़े शैक्षणिक संस्थान पिछले पंद्रह सालों में बनकर तैयार हुए हैं.
उससे भी बड़ी बात ये है कि इससे निकले छात्र बड़ी और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में काम भी कर रहे हैं. जिस मीठापुर इलाके में कोई जाना नहीं चाहता था आज वो मीठापुर इलाका बड़े और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान के ठिकाने के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. छात्र भी मानते हैं कि बिहार में कुछ साल पहले तक राष्ट्रीय स्तर के इतने विश्वविद्यालय खुल जाएंगे इसकी कल्पना नहीं थी.
ये संस्थान हैं मीठापुर के इलाके में
दरअसल, साल 2005 के नवंबर में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने ये फैसला किया कि राजधानी में एक ऐसे इलाके की पहचान हो जहां फैशन, कानून, मैनेजमेंट, ट्रैडिशनल और प्रोफेशनल विषयों के शैक्षणिक संस्थान एक जगह पर हों. इत्तेफाक से मीठापुर में पड़ी सरकारी जमीनों का इस्तेमाल शैक्षणिक संस्थान को बनाने और बसाने के तौर पर होने लगा.
इसी कड़ी में चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान (Chandragupt Institute of Management), चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (Chanakya National Law University), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलिजी (National Institute of Fashion Technology), आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, इग्नू (IGNOU) के क्षेत्रीय केन्द्र की स्थापना हुई.
CM नीतीश के विजन की वजह से हो सका संभव
फिलहाल मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की बिल्डिंग और हॉस्टल बनाने का काम जोरों पर है. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सैयद मोहम्मद करीम के मुताबिक, करीब 20 साल पहले तक मीठापुर में रात की बात तो दूर दिन में भी कोई आना नहीं चाहता था, लेकिन इसे मुख्यमंत्री नीतीश का विजन कहें कि आज यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान खुल गए हैं.
इसी बात को इग्नू के क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक अभिलाष नायक भी खुलकर रखते हैं. अभिलाष नायक के मुताबिक, आने वाले भविष्य में मीठापुर की एक और पहचान निकलकर सामने आएगी. हालांकि, बस स्टैंड की वजह से थोड़ी परेशानी बढ़ी है.आइए जानते हैं कि मीठापुर इलाके में कौन-कौन शैक्षणिक संस्थान हैं और ये कब से काम कर रहे हैं.
बड़ी-बड़ी कंपनियों में पा रहे प्लेसमेंट
इसकी स्थापना साल 2008 में हुई. तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के हाथों हुआ. कुल सीटें 120, यहां मैनेजमेंट की पढ़ाई होती है और ये बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की तरफ से दिए गए फंड से चलता है. यहां मैनेजमेंट की पढ़ाई होती है और इससे निकले छात्र एयरटेल, अमूल, कोको-कोला (Coco Cola), आईटीसी (ITC) जैसी कंपनियों में काम करते हैं
कानून के विषयों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित परीक्षा के जरिए यहां बच्चों का दाखिला होता है. यहां साल 2006 में पढ़ाई शुरू हुई. 18 एकड़ में यूनिवर्सिटी का विस्तार है.
इसकी शुरुआत साल 2008 में गांधी मैदान से सटे उद्योग भवन में हुई. साल 2014 में मीठापुर में बिल्डिंग बनने के बाद निफ्ट को मीठापुर शिफ्ट किया गया यहां फैशन से संबंधित कोर्स की पढ़ाई शुरू हुई और पूरे भारत से बच्चे यहां पढ़ने के लिए आते हैं.
इन स्ट्रीम्स की होती है पढ़ाई
अगस्त 2015 में इसकी बिल्डिंग का शिलान्यास खुद नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने किया और उन्होंने ही इसका उद्घाटन भी 21 फरवरी 2109 को किया. यूनिवर्सिटी के नए कैंपस पर 122 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ग्राउंड के साथ ही इस बिल्डिंग में 6 फ्लोर है. यूनिवर्सिटी में फिलहाल 25 हजार छात्र और छात्रा पढ़ाई करते हैं. मेडिकल, इंजीनियरिंग, बीएड (BEd), एमएड (MEd), एमबीए (MBA), एमसीए (MCA), बीबीए, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी (Physiotheraphy), योगा सहित कई विषयों की पढ़ाई होती है.
पहले इस यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग बिस्कोमान भवन में थी. साल 2019 में ही इसकी बिल्डिंग का उद्घाटन नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के हाथों हुआ.
फिलहाल जोर शोर से बहुमंजिली बिल्डिंग का काम हो रहा है. इसके साथ ही यहां हॉस्टल भी बनाया जा रहा है.
हालांकि, एक समस्या अब भी यहां पर स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को देखना पड़ रहा है, वो है बस स्टैंड. उम्मीद है कि इस मुश्किल का हल भी जल्द हो जाएगा. क्योंकि बेरिया स्थित पाटलिपुत्र बस स्टैंड में जल्द ही बसों का संचालन शुरू हो जाएगा.
यहां फिलहाल बस स्टैंड की समस्या है. बाकी सब ठीक है. एक बार बसों का संचालन बेरिया से शुरू हो जाए तो सबकुछ ठीक हो जाएगा. इतने संस्थान खुलने के बावजूद सच्चाई ये है कि बिहार से बाहर अब भी बड़ी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा के लिए जा रहे हैं.लेकिन बिहार में देर से ही सही उच्च शिक्षा के कई प्रतिष्ठित संस्थान खुल चुके हैं जिससे यहां का शैक्षणिक माहौल बदला है.