पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) की तारीखों का ऐलान हो गया है. इसके साथ ही, बिहार में आचार संहिता लागू कर दिया गया है. आचार संहिता लागू करने का अर्थ है होता है कि उस जगह पर सरकार अब कोई नई नीति नहीं लाएगी ना ही उन्हें लागू किया जाएगा. पहले से जो प्रोजेक्ट या नीतियां सक्रिय हैं, उनके विकास का काम सरकारी कर्मचारियों और सरकार की मदद से चलती रहेगी.


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तीन चरण में बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे. पहला चरण 28 अक्टूबर, दूसरा चरण 3 नवंबर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा. 10 नवंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजें आ जाएंगे. वहीं, आचार निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाती है जिसे आचार संहिता कहते हैं. 


आचार संहिता मानना जरूरी
आदर्श आचार संहिता के नियमों को मानने की जिम्मेदारी ना सिर्फ सरकार की बल्कि, राजनीतिक दल और नेताओं की भी होती है. इसके उल्लंघन पर कई तरह के कड़ी कार्रवाई के प्रावधान भी हैं. इसके साथ ही सभी राजनीतिक दलों को यह समान अवसर मिले कि वह चुनाव में प्रचार और अभियान चला सके. राजनीतिक दलों के बीच खींचतान न हो इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है.


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारतीय चुनाव आयोग को यह हक दिया गया है कि वह देश के किसी भी भाग में चुनाव का सर्विलांस, निर्देशन और उसपर कंट्रोल को अपने हिसाब से तय करे.


मशीनरी का ना हो दुरुपयोग
चुनाव आयोग इसके अलावा यह भी तय करता है कि किस उम्मीदवार को कितने रुपए तक चुनावों में खर्च करने हैं, किसे टीवी, रेडियो या फिर अन्य किसी भी माध्यम पर प्रचार करने का कितना समय दिया जाएगा ताकि वह किसी भी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न कर सके. 


आपको बता दें कि आदर्श चुनाव संहिता पूरी चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ पूरी प्रक्रिया तक यह लागू रहती है. आचार संहिता के दौरान जो नेताओं, सरकार और पार्टियों द्वारा जिन महत्वपूर्ण कार्यों को नहीं किया जा सकता है वो कुछ इस प्रकार हैं-


  • सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी दल या नेता को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं होगा

  • किसी भी तरह की सरकारी संपत्ति जैसे गाड़ी, आवास आदि का इस्तेमाल प्रचार के लिए नहीं हो सकेगा. 

  • आचार संहिता के दौरान किसी तरह की घोषणा, शिलान्यास या उद्घाटन भी नहीं हो सकेगा.

  • चूंकि इस बार चुनाव प्रचार वर्चुअल अधिक होगा इसलिए चीफ इलेक्शनर कमिशनर ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस के लिए प्रोटोकॉल बनाए जाने की कवायद भी शुरू कर दी जाएगी ताकि उसका मिसयूज न किया जाए.

  • कोरोना काल को देखते हुए पांच से अधिक लोग डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए नहीं जा सकेंगे.

  • चुनावी रैले में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगना


आम लोगों के लिए भी आचार संहिता के लिए कुछ खास नियम बनाए जाते हैं जो इस प्रकार हैं-


  • किसी भी शख्स के पास लाइसेंसी हथियार है तो उसे जमा करने का प्रावधान है. पकड़े जाने पर व्यक्ति को सजा भी हो सकती है. 

  • अवैध हथियार रखने वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है. 

  • सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर कार्रवाई.

  • सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति या पार्टी को वोट देने के लिए उकसाने पर भी कार्रवाई का प्रावधान.