पटना जंक्शन से डाकबंग्ला और बुद्ध मार्ग की तरफ जाने वाली सड़क के किनारे मौजूद इस मल्टीलेवल पार्किंग का मकसद सिद्ध होता नहीं दिख रहा है.
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पटना: 24 फरवरी 2016 को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मल्टीलेवल पार्किंग का उद्घाटन किया. मल्टीलेवल पार्किंग जिस जगह बनाई गई वो राजधानी पटना के सबसे कीमती इलाकों में एक है. पटना जंक्शन से डाकबंग्ला और बुद्ध मार्ग की तरफ जाने वाली सड़क के किनारे मौजूद इस मल्टीलेवल पार्किंग का मकसद सिद्ध होता नहीं दिख रहा है.
दरअसल, मल्टीलेवल पार्किंग का मकसद रियायती दरों पर गाड़ी पार्किंग का इंतजाम करना था. इसी के साथ ही पटना जंक्शन के आसपास के इलाकों को ऑटो की वजह से लगने वाले बेतरतीब जाम से भी निजात दिलाना था. इसके लिए ऑटो पार्किंग फ्री कर दी गई. लेकिन इसका नहीं दिखा. पटना जंक्शन से डाकबंग्ला जाने वाली सड़क की दोनों तरफ आपको बिना वजह की ऑटो सहित दूसरे वाहन दिख जाएंगे.
दरअसल, बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BUIDCO) ने इस मल्टीलेवल पार्किंग को तैयार कराया था और इसी के हाथ में ही मल्टीलेवल पार्किंग का मेंटनेंस भी है. ग्राउंड फ्लोर के साथ तीन फ्लोर हैं और हर फ्लोर पर 120-120 गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था है. लेकिन सिर्फ पहले फ्लोर पर ही गाड़ियां पार्क होती है जबकि दूसरा और तीसरा फ्लोर खाली रहता है.
लिहाजा लाखों की लागत से तैयार की गई मल्टीलेवल पार्किंग से जितने मुनाफे की उम्मीद बुडको की थी, वो पूरी नहीं हो सकी है और इसके लिए बुडको ही जिम्मेदार है. बुडको के अधिकारी इसके लिए नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेदार बताते हैं.
मल्टीलेवल पार्किंग की जिम्मेदारी संभाल रहे नगर विकास प्रमंडल एक, बाकीपुर के कार्यपालक अभियंता हरेंद्र उपाध्याय के मुताबिक, मल्टीलेवल पार्किंग होने के बावजूद इस इलाके को जाम से इसलिए निजात नहीं मिल पाया. क्योंकि ट्रैफिक पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. ट्रैफिक पुलिस से कई बार बात की गई लेकिन वो ऑटो की मनमानी पर रोक नहीं लगा सकी.
एक नजर मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था पर
ऐसे में सवाल ये उठता है कि शहर के जिस कीमती इलाके में इस मल्टीलेवल पार्किंग को तैयार किया गया उसका मकसद क्यों नहीं पूरा हुआ. वो इसलिए क्योंकि लाखों खर्च होने के बावजूद मल्टीलेवल पार्किंग को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया. मल्टीलेवल पार्किंग होने के बावजूद इस इलाके को जाम से इसलिए निजात नहीं मिल पाया. क्योंकि ट्रैफिक पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. ट्रैफिक पुलिस से कई बार बात की गई लेकिन वो ऑटो की मनमानी पर रोक नहीं लगा सकी.