मुजफ्फरपुर: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बृहस्पतिवार को अपनी पूर्व सहयोगी भाजपा पर पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण खत्म करने के एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने यह आरोप भी लगाया कि हाल का पटना उच्च न्यायालय का वह आदेश एक साजिश का परिणाम था जिसमें राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी/ईबीसी के लिए आरक्षण को अवैध घोषित कर दिया गया था. इसी कड़ी में  मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय के धरना स्थल पर JDU नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार की मंशा नहीं होने देंगे कामयाब


प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पूर्व मंत्री और जदयू के नेता दसई चौधरी ने कहा कि बीजेपी ने जिस प्रकार से कोर्ट पर दबाव बनाया और आरक्षण के विरोध में यह कार्य करवाया है, यह पिछड़ों के खिलाफ में एक साजिश है और इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है. अब इसके लिए हम और हमारी सरकार जल्द ही कोर्ट का रुख करते हुए इसको चुनौती देंगे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की मंशा आरक्षण को समाप्त करने की है और इसको हमलोग कामयाब नही होने देंगे. 


गांधी मैदान में भी हुआ था कार्यक्रम 


पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के पास जदयू द्वारा आयोजित 'आरक्षण विरोधी भाजपा का पोल खोल' प्रदर्शन कार्यक्रम में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कहा था कि आरक्षण प्रणाली की समीक्षा की आवश्यकता है तो हम आशंकित थे. लेकिन इन वर्षों में आरक्षण को खत्म करने का भाजपा का एजेंडा और अधिक स्पष्ट हो गया है.


गांधी मैदान के समीप आयोजित यह प्रदर्शन जदयू के राज्यव्यापी कार्यक्रम का हिस्सा था . जदयू ने दो महीने पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ दिया था. ललन आरएसएस प्रमुख के एक साक्षात्कार का जिक्र कर रहे थे जिसपर व्यापक स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी थी और जिसके परिणामस्वरूप जदयू, लालू प्रसाद के राजद और कांग्रेस के 'महागठबंधन' ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा करारी शिकस्त दी थी जबकि उसके सालभर पहले ही 2014 में मोदी की लहर देखी गयी थी. 


हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के शीर्ष नेता नीतीश कुमार 2017 में राजग में लौट आए थे . ललन ने कहा कि राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना के पक्ष में बिहार विधानमंडल द्वारा दो बार प्रस्ताव पारित किए गए थे और मुख्यमंत्री ने इस मांग पर जोर देने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी. उन्होंने दावा किया कि लेकिन केंद्र इसपर सहमत नहीं था क्योंकि इससे आरक्षण खत्म करने के भाजपा के एजेंडे में बाधा आ सकती थी. 


(इनपुट: एजेंसी/मणितोष कुमार)