सीतामढ़ीः बिहार में मदरसों की हालत सुधारने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. इसके लिए कई पहल किये जा रहे हैं. और मदरसों के लिए फंड मुहैया कराये जा रहे हैं. मदरसों को अनुदान देने के साथ-साथ शिक्षकों को मोटा वेतन भी दिया जा रहा है. हालांकि कुछ मदरसों की हालत सुधर नहीं रही है. जब मदरसों के नाम पर लिये गए पैंसों का बंदरबाट चल रहा हो तो इसकी हालत सुधरेगी भी कैसे. इस बात का पता सीतामढ़ी जिले के लोहरपट्टी पंचायत में स्थित फौकनिया स्तर का मदरसा चलाया जा रहा है, जो सरकारी मापदंडों को पूरा नहीं कर रहा है. मदरसा के पास न अपना जमीन है और न ही अपनी बिल्डिंग, यहां तक की सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक यह मदरसा बेतहा पंचायत में होना चाहिए. लेकिन यह अपनी तय जगह से करीब 2 किलोमीटर दूर लोहपट्टी पंचायत में चलाया जा रहा है.


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मदरसे में चल रहे बंदरबाट का आरोप बिहार राज्य मदरसा बोर्ड के सदस्य इरशाद अली आजाद पर है. इरशाद अली सिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं. बताया जा रहा है कि मदरसा में जो पैसों का बंदरबाट चल रहा है वह इरशाद अली इशारों पर हो रहा है. यहां तक की जिलाधिकारी ने भी अपने रिपोर्ट में कहा है कि इस मदरसे में फौकनिया स्तर की पढ़ाई संभव नहीं है.



ग्रामीणों के अनुसार, इरशाद अपनी दबंगई के कारण मदरसे को तय जगह से हटाकर दूसरी जगह चला रहे हैं. जिलाधिकारी के रिपोर्ट में कहा गया है कि लोहरपट्टी में चल रहे मदरसे में फौकनिया स्तर की पढ़ाई संभव नहीं है और इस मदरसे के पास अपनी बिल्डिंग भी नहीं है. वहीं, सीतामढ़ी के जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी के रिपोर्ट से पता चलता है कि लोहरपट्टी में अवैध तरीके से फौकनिया स्तर का मदरसा चलाया जा रहा है.



फिलहाल यह मदरसा एस्बेस्टस के छत के नीचे चलाया जा रहा है. इसमें 11 शिक्षक हैं. और यहां केवल 60 से 70 छात्र हैं. मदरसे को अब तक 20 लाख रूपये का फंड मिल चुका है. साल 2011 में बिहार सरकार ने 2459 मदरसों को सरकार सूचि में शामलि करने का आदेश दिया था. सूचि में इस मदरसे को भी शामिल किया गया और ज्याउल उलूम नाम की सरकारी राशि मिलने लगी. हालांकि यह सरकारी मापदंडो को बिल्कुल पूरा नहीं करता है.


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क्या है फौकानिया स्तर के मदरसे के लिए सरकारी मापदंड
फौकानिया स्तर के मदरसे में एक से दस कक्षा तक की पढ़ाई होती है.
फौकानिया मदरसा में 10 शिक्षा भवन होंने चाहिए.
प्रधान मौलवी के लिए दफ्तर, सहायक मौलवियों के लिए क़ॉमन रूम और क्लर्क के लिए दफ्तर की व्यवस्था होनी चाहिए.
फौकानिया स्तर के मदरसों का भवन पक्का होना चाहिए.
फोकानिया मदरसों की लाइब्रेरी की भी सुविधा होनी चाहिए.


इन सभी मापदंडों में लोहरपट्टी स्थित मदरसा किसी भी मापदंड को पूरा नहीं करता है. जब मदरसे का अपना भवन नहीं है तो लाइब्रेरी की सुविधा तो दूर की बात है. बच्चों के लिए क्लास रूम भी नहीं हैं.