गुलाबी कछुआ देखा है क्या कभी? नहीं, तो यहां जी भर के देखिए
इंडो नेपाल सीमा अंतर्गत वाल्मीकिनगर के 9 आरडी पर एक विलुप्त प्रजाति का कछुआ मिला है. भारत, नेपाल और बांग्लादेश के स्वच्छ और खारे जल में अधिवास करने वाला इंडियन टेंट टर्टल गुलाबी रंग का है, जिसे देख लोग भी हैरत में पड़ गए हैं.
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के विशेषज्ञों के अनुसार
इंडियन टेंट टर्टल का वैज्ञानिक नाम पंगशुरा टेंटोरिया है, जो जियोमीडिडे परिवार की कछुए की एक प्रजाति है. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के विशेषज्ञों के अनुसार, नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन और तस्करी के चलते इंडियन टेंट टर्टल विलुप्त होने की कगार पर है.
विलुप्त प्रजाति का कछुआ
इंडो नेपाल सीमा अंतर्गत वाल्मीकिनगर के 9 आरडी पर एक विलुप्त प्रजाति का कछुआ मिला है. भारत, नेपाल और बांग्लादेश के स्वच्छ और खारे जल में अधिवास करने वाला इंडियन टेंट टर्टल गुलाबी रंग का है, जिसे देख लोग भी हैरत में पड़ गए हैं.
गंडक नदी किनारे मिला
दरअसल, इंडियन टेंट टर्टल अति संरक्षीत जलीय जीव है और इसके तस्करी समेत घरों में रखने पर पाबंदी है. ऐसे में इस प्रजाति के कछुआ का बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के इलाके में गंडक नदी किनारे मिलना वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए एक सुखद खबर है.
कछुआ का विलुप्त प्रजाति
कछुआ के इस विलुप्त हो रहे प्रजाति को अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं संरक्षण समितियों ने रेड लिस्ट और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की सूची में शामिल किया है.
सुखद खबर के साथ शुभ संकेत
बिहार के वन्य जीव विशेषज्ञ वी डी संजू ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वीटीआर में इंडियन टेंट टर्टल का मिलना काफी सुखद खबर के साथ शुभ संकेत है, क्योंकि यह नेपाल और बांग्लादेश के अलावा भारत के कुछ हीं नदियों में पाया जाता है.
बच्चों को यह कछुआ दिखा
बता दें कि शुक्रवार को यह वाल्मीकीनगर स्थित गंडक नदी के 9 आर डी पुल पर पाया गया जिसके ऊपर गुलाबी धारियां हैं और यह देखने में काफी खूबसूरत है. उन्होंने बताया की जिन बच्चों को यह कछुआ दिखा था. उन्होंने वापस नदी में छोड़ दिया है.
दुर्लभ प्रजापति
इस तरह के विलुप्त हो रहे वन्य जीवों की सुरक्षा करना वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के लिए हमारा कर्तव्य है ताकि पर्यावरण संतुलित और संरक्षित रहने में मदद मिलेगा इसके साथ ही दुर्लभ प्रजापति का वजूद बरकरार रहेगा.