Bihar Rains: किसानों की जान में जान आई, सूखे की आहट के बीच नालंदा में झमाझम बारिश
Bihar Monsoon Rains: बिहार में पिछले तीन सप्ताह से बारिश नहीं हो रही थी. अपनी फसलों को बचाने के लिए जहां किसानों की जान हलक में थी, वहीं सरकार की ओर से भी किसानों की मदद के लिए डीजल अनुदान की तैयारी की जा रही थी. इस बीच नालंदा से झमाझम बारिश होने की खबर आई है, जिससे किसानों में काफी खुशी है.
नालंदा: बिहार में पिछले 18 दिनों से बारिश न होने से सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. बारिश न होने से किसान परेशान थे और धान की फसल को बचाने के लिए बोरिंग या पंपिंग सेट से सिंचाई कर रहे थे. धान की रोपाई भी 55 प्रतिशत ही पूरा हो पाई थी. इस बीच गुरुवार को हुई झमाझम बारिश ने लोगों को गर्मी से तो राहत दी ही, साथ ही किसानों के चेहरे पर मुस्कान भी लौटा दी है. पिछले करीब एक महीने से बिहार में सूखे के हालात बन रहे थे. बारिश न होने के कारण किसानों को धान की रोपाई में बहुत समस्या हो रही थी. फसलें सूख रही थीं और खेतों में दरार पड़ने लगी थी, किसानों को फसलों की चिंता सताने लगी थी. बिहार के दक्षिणी इलाकों में हालात बेहद खराब थे.
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दक्षिण पूर्व में स्थित नालंदा में मूसलाधार बारिश से किसानों को काफी राहत मिली है. वो अब अच्छी फसल और लाभ की उम्मीद कर रहे हैं. किसान धान की रोपाई के लिए खेत में नजर आ रहे हैं. यह बारिश पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए उम्मीद का सबब बन गई है. किसान अच्छी पैदावार के लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके.
स्थानीय किसान नीलेश कुमार ने बताया कि बारिश से किसानों को फायदा मिलेगा. बारिश की वजह से खेती के लिए मोटर के पानी की खपत में कमी आएगी. हम काफी समय से अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे थे. बारिश न होने के कारण हमें धान की रोपाई में बहुत दिक्कत हो रही थी. फसलों का काफी नुकसान हो रहा था। कल हुई बारिश ने हमारा मनोबल बढ़ा दिया है.
किसान लंबे समय से अच्छी बारिश की आस लगाए बैठे थे. 1 अगस्त की बारिश किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. लंबे इंतजार के बाद बारिश से वो काफी खुश नजर आ रहे हैं. किसानों की माने तो उनके लिए यह बारिश संजीवनी साबित होगी. सूखे खेतों के लहलहाने की उम्मीद से अब चेहरे खिल उठे हैं.
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एक दिन पहले ही एक डराने वाले आंकड़े सामने आए थे. बताया गया कि अब तक 55 से 60 प्रतिशत ही धान की रोपाई हो सकी है. अफसरों ने बताया था कि उत्तर बिहार से ज्यादा खराब स्थिति दक्षिण बिहार की है. इस साल प्रदेश में 36 लाख 56 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया, जबकि अभी तक 55 से 60 फीसदी ही धान की रोपाई हो सकी थी. इसका सबसे बड़ा कारण अल्प वृष्टि को बताया गया.
मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदेश में जून और जुलाई के महीने में सामान्य से 37 प्रतिशत बारिश कम हुई. बारिश कम होने से धान की रोपाई की गति सुस्त पड़ गई थी. नालंदा में भी हालात कुछ ऐसे ही थे. इस बीच बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने भी कहा कि कम बारिश की वजह से धान की रोपाई पिछड़ गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी समीक्षा कर निर्देश दिए कि डीजल अनुदान के लिए सरकार की तरफ से जो व्यवस्था हुई है उसे तुरंत शुरू किया जाए.