प्राकृत पांडुलिपियों के संरक्षण की जरूरत- राज्यपाल सत्यपाल मलिक
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प्राकृत पांडुलिपियों के संरक्षण की जरूरत- राज्यपाल सत्यपाल मलिक

'प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान' में प्राकृत भाषा में रचित जैन पांडुलिपियों को संरक्षित करने की जरूरत है.

पांडुलिपि को संरक्षण प्रदान करने की जरूरत है. (फाइल फोटो)

पटनाः बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि बिहार की ऐतिहासिक विरासत समृद्ध है. भारत के स्वर्णयुग का इतिहास वस्तुत: बिहार का इतिहास है. उन्होंने कहा कि 'प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान' में प्राकृत भाषा में रचित जैन पांडुलिपियों को संरक्षित करने की जरूरत है. बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों और संरक्षित स्थलों के संरक्षण एवं विकास को लेकर यहां हुई एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बिहार की वैशाली को 'विश्व के प्रथम गणतंत्र' होने का गौरव प्राप्त है. यहां का 'अशोक स्तंभ' वास्तुकला की अद्भुत मिसाल है. 

उन्होंने कहा कि अभिषेक पुष्करिणी सरोवर, कोल्हुआ की अन्य पुरातात्विक विरासतें, रेलिक स्तूप वैशाली, राजा विशाल का गढ़, चतुर्मुखी महादेव, बनिया पोखर, मिरन जी की दरगाह आदि स्थलों को विकसित किए जाने की जरूरत है. 

मलिक ने कहा कि वैशाली के 'प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान' में प्राकृत भाषा में रचित जैन पांडुलिपियों को संरक्षित किए जाने की जरूरत है. प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय को तिब्बती पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस महाविहार का विकास कर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है. 

राज्यपाल ने कहा कि बिहार अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और पुरातात्विक महव के स्थलों को विकसित कर इनकी पर्यटकीय संभावनाओं को व्यापक रूप से बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग के जरिए राज्य को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होगी.

बैठक में भाग ले रहे संस्कृति मंत्रालय के सचिव राघवेंद्र सिंह ने कहा कि भारत सरकार सांस्कृतिक कॉम्प्लेक्स या स्टेट म्यूजियम के विकास के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता कर सकती है. 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की महानिदेशक उषा शर्मा ने कहा कि बिहार के पुरातात्विक महत्व के स्थलों के उत्खनन के लिए स्वीकृति देने में सहयोग करने का आश्वासन दिया. 

शर्मा ने कहा कि ऐतिहासिक पुरातात्विक महव के स्थलों के विकास एवं संरक्षण के लिए राज्य को 'समेकित एक्शन प्लान' बनाकर सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर समन्वित चरणबद्ध प्रयास करना चाहिए.