बिहार में NDA का एक साथी दे सकता है BJP को झटका, लालू से हाथ मिलाने की तैयारी!
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बिहार में NDA का एक साथी दे सकता है BJP को झटका, लालू से हाथ मिलाने की तैयारी!

एनडीए में बिहार में भाजपा के अलावा नीतीश की जेडीयू, रामविलास पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाह की रालोसपा शामिल है. आने वाले चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले ही रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाह ने अपने बयान से भाजपा की धड़कनें बढ़ा दी हैं.

बिहार में NDA का एक साथी दे सकता है BJP को झटका, लालू से हाथ मिलाने की तैयारी!

नई दिल्ली : 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले बिहार की सियासत गर्माने लगी है. भाजपा अब तक भले ये कह रही हो कि वह इस राज्य में अपने सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलेगी, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. यहां भाजपा को उसके एक सहयोगी दल की ओर से झटका लग सकता है. इस समय एनडीए में बिहार में भाजपा के अलावा नीतीश की जेडीयू, रामविलास पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाह की रालोसपा शामिल है. आने वाले चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले ही रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाह ने अपने बयान से भाजपा की धड़कनें बढ़ा दी हैं.

शनिवार को केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाह ने एक बयान देकर इशारा कर दिया कि वह आने वाले चुनावों में लालू प्रसाद यादव की पार्टी के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ''एक अच्छी खीर तभी बन सकती है, जब उसमें यादवों का दूध हो और कुशवाह के चावल हों.'' बिहार की सियासत में आरजेडी यादवों का प्रतिनिधित्व करती है. वहीं कुशवाह जाति के वोटों पर रालोसपा का असर माना जाता है. ऐसे में उपेंद्र कुशवाह का ये बयान काफी कुछ कह देता है.

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बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाह तभी से नाराज चल रहे हैं, जब से भाजपा ने नीतीश से हाथ मिलाकर उन्हें तरजीह देना शुरू किया है. क्योंकि बिहार में इन दोनों पार्टियों का वोट बैंक करीब करीब एक ही है. इसलिए अब उपेंद्र कुशवाह आरजेडी से नजदीकी दिखाने की भी कोशिश कर रही है.

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उपेंद्र कुशवाह शनिवार को बीपी मंडल की जन्मशती समारोह में बोल रहे थे. बीपी मंडल ही उस मंडल कमीशन के अध्यक्ष थे, जिसने पिछड़ी जाति के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी कोटा आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया था. इस मौके पर उपेंद्र कुशवाह ने कहा, यहां बहुत बड़ी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं. यदुवंशी का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाए तो खीर बनने में देर नहीं लगती. लेकिन खीर बनाने के लिए केवल दूध और चावल हीं नहीं, छोटी जाति और दबे कुचले समाज का पंचमेवा भी चाहिए.