पाकुड़: पाकुड़ जिले के अल्पसंख्यक बहुल तारानगर इलामी में बीते 18 जुलाई के दिन दो समुदायों में झड़प हुई थी. इसके बाद यहां के 30 से अधिक हिंदू परिवार डर से अपना घर छोड़कर पाकुड़ और सीमावर्ती बंगाल के इलाकों में चले गए. कोई अपने रिश्तेदार के यहां तो कोई कहीं रुके हुए है. अब कई लोगों के आश्वासन के बाद भी ये परिवार घर लौटने को तैयार नहीं हैं. पीड़ितों ने बताया कि हम वहां स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं. अपने सामने हमने अपना घर तबाह होते हुए देखा है. कुछ पीड़ित महिलाओं ने कई दिन पहले पाकुड़ दौरे पर आए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से मुलाकात कर अपनी समस्याओं को भी बताई थी.


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उपद्रव के बाद गांव के दर्जनों लोग आसपास के अन्य शहर में शरणार्थी की तरह रहे हैं. सभी को अपने जीवन का डर है. पीड़ितों का कहना कि अभी गांव में पुलिस का पहरा है, लेकिन पुलिस हटने के बाद उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा. उनका कहना है कि एक घटना को समाज विरोधियों ने ऐसी हवा दी कि उनके गांव के दर्जनों परिवार बेघर हो गए. गांव लौटने में यह डर सताता है कि न जाने कब समाज विरोधियों का कहर टूट पड़े. उपद्रव के बाद कुछ दिन तो शहर में समाज के कुछ लोगों ने भोजन और ठहरने की व्यवस्था की, लेकिन बाद में हम सभी को अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ी.


दरअसल एक हिंदू युवती का वीडियो एडिट कर सोशल मीडिया पर डालने के विवाद में तारानगर के उल्लू टोला के हिंदू समुदाय के लोगों ने 17 जुलाई की दोपहर आरोपित मुस्लिम युवक की पिटाई कर दी थी. घटना के दूसरे दिन तारानगर, इलामी व नवादा गांव के मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होकर युवती के परिवार व गांव के 40 से अधिक हिंदू परिवारों के घरों पर हमला कर मारपीट की और घरों में तोड़फोड़ की. साम्प्रदायिक हिंसा के मामले में 11 लोगों को जेल भेजा गया था. जिनमें आठ मुस्लिम व तीन हिंदू समाज के लोग शामिल थे. घटना को लेकर तीन अलग-अलग प्राथमिकियां की गई थी. पुलिस ने इस मामले में 40 नामजद सहित 300 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया है. फिलहाल अभी भी पुलिस वहां कैंप कर रही है. शांति व्यवस्था बहाल कर दी गई है बावजूद कई हिन्दू परिवार भय से अपने घर जाना नही चाहते है.


हालांकि प्रशासन का कहना है गांव में पूरी तरह शांति बहाल है. किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है. गांव में अभी धारा 144 लागू है. पुलिस वहां कैंप कर रही है. लोग गांव आये और शांति से रहें.वहीं गाँव के पूर्व मुखिया अफजल हुंसेन ने बताया कि गांव में शांति पूर्ण माहौल है.नहमलोग प्रतिदिन गांव के लोगों से मिल रहे है, जो गांव को छोड़ कर गए है उसे भरोसा दिलाकर बुलाने का काम कर रहे हैं. वहीं इस मामले में भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. अपने ही राज्य में अपने ही जिले में अपने ही प्रखंड में और अगर हिंदुओं को पलायन करना पड़े तो इससे बड़ा और दुखद कुछ नहीं हो सकता है.


इनपुट- सोहन प्रमाणिक


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