Pakur: असम के मुख्यमंत्री सह झारखण्ड विधानसभा के चुनाव प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा पुलिस ने गोपीनाथपुर जाने नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने झारखंड सरकार पर जमकर निशाना साधा. महेशपुर प्रखण्ड के गायबथान गांव पहुंचे हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बांग्लादेशियों के भय से हमें गोपीनाथपुर जाने नहीं दिया. इससे इस क्षेत्र की भयावहता साफ समझी जा सकती है.


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गायबथान गांव में उन्होंने आदिवासी पीड़ित परिवारों से मुलाकात किया और पूरी घटना की विस्तार से जानकारी लिया. इस दौरान साथ में राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश भी मौजूद थे. सीएम ने पीड़ित परिवार से बातचीत कर उनकी बातों को सुना. घटना के बारे में डिटेल से जाना. साथ ही पीड़ित घायलों से मिले. इस दौरान गांव के ग्रामीण भी मौजूद थे. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया है.


सीएम ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री रहते झारखंड के आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एसपीटी एक्ट के रहते आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा इसलिए हो रहा है. यहां की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही. उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासियों के हितों की रक्षा का ढिंढोरा पीटने वाली झारखंड सरकार की संवेदनहीनता का आलम यह है कि गायबथान के घायलों का इलाज तक सरकार ने अबतक कराना उचित नहीं समझा.


पीड़ित परिवार से बातचीत के बाद मीडियाकर्मियों को सीएम ने बताया कि यह घटना काफी निंदनीय है. इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए. साथ ही कहा कि पीड़ित घायल परिजनों को जमीन की न्यायिक लड़ाई लड़ने और इलाज के लिए एक एक लाख रुपया पार्टी की ओर से मदद किया जाएगा. मुझे अभी गोपिनाथपुर जाने का आदेश नहीं दिया गया है, तो मैं नही जाऊंगा. लेकिन आप समझ सकते है की गोपिनाथपुर में कितनी भयावह स्थिति है. चुकी मैं एक संविधानिक पद पर हूं, इसलिए मैं नियम को नहीं तोडूंगा. लेकिन मैं बाद में फिर आऊंगा. गोपिनाथपुर गांव जाऊंगा. 


बता दें कि बीते 18 जुलाई को जमीनी विवाद को लेकर दो समुदाय (आदिवासी और मुस्लिम समुदाय) के बीच गायबथान गांव में मारपीट हुई थी. जिसमें आदिवासी समुदाय के कुछ लोग घायल भी हुए थे. उसके बाद से मामला काफी हाई प्रोफाइल हो गया है और राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है.


रिपोर्ट: सोहन प्रमाणिक