सत्ता में और अधिक हिस्सेदारी चाहते हैं जदयू-राजद के सहयोगी दल! महबूब आलम ने कही ये बड़ी बात
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के छोटे घटक दल राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले आयोग, बोर्ड और अन्य संस्थाओं में शीर्ष पदों की मांग कर रहे हैं ताकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार के कामकाज को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जा सके.
Patna: बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के छोटे घटक दल राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले आयोग, बोर्ड और अन्य संस्थाओं में शीर्ष पदों की मांग कर रहे हैं ताकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार के कामकाज को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जा सके.
महबूब आलम ने कही ये बात
बिहार विधानसभा में भाकपा (माले) के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने बताया कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सभी सहयोगी पार्टियों के प्रतिनिधियों का एक दल जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा. उन्होंने कहा, 'मैंने हाल ही में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात की और मांग की कि सरकार के प्रभावी कामकाज के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों या गठबंधन सहयोगियों के नेताओं को विभिन्न आयोगों, बोर्डों और निगमों में जगह दी जानी चाहिए.'
भाकपा माले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है लेकिन बाहर से सरकार का समर्थन करती है. पार्टी के नेता ने कहा कि बिहार सरकार के तहत कई निकाय यथा राज्य मानवाधिकार आयोग, अनुसूचित जाति-जनजाति, महिला आयोग आदि में महागठबंधन के सहयोगियों के नेताओं को जिम्मेदार पदों की पेशकश की जा सकती है. उन्होंने कहा, 'सभी स्तरों पर सरकार के कामकाज को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जा सकेगा. हम ऐसे निकायों में सदस्यों या अध्यक्षों के पद पर लाभ के लिए इन पदों की मांग नहीं कर रहे हैं. इस संबंध में महागठबंधन के सभी सहयोगियों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा.' भाकपा माले के पास 12 विधायक हैं.
अगस्त में राज्य में भाजपा के सत्ता से बाहर होने के बाद प्रदेश में सत्तारूढ महागठबंधन में यह चौथा सबसे बड़ा घटक दल है. महागठबंधन में शामिल सिर्फ दो विधायकों वाले भाकपा के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान ने कहा कि बिहार में महागठबंधन के सभी भागीदारों के बीच भागीदारी की भावना होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण निगम और आयोग हैं, जिनमें से कुछ के पास अर्ध-न्यायिक शक्तियां हैं. उन्होंने कहा कि गठबंधन सहयोगियों के नेताओं को निर्णायक भूमिका दी जानी चाहिए.
अंजान ने यह भी कहा कि चूंकि वामपंथी दलों के नेता कई संगठनों से जुड़े हुए हैं और श्रमिकों, आदिवासियों, किसानों और भूमिहीन लोगों के लिए लड़ रहे हैं, सदस्य या अध्यक्ष के रूप में सरकारी निकायों में उनके होने से निश्चित रूप से प्रशासन के कामकाज में सुधार आएगा. उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है और प्रतिबद्धता के साथ राजनीति की बहुत जरूरत है. महागठबंधन के एक अन्य सहयोगी कांग्रेस ने कहा कि सरकार के सभी हितधारकों को इसके कामकाज के सभी स्तरों में शामिल होना चाहिए.
RJD है सबसे बड़ी पार्टी
राजद और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के बाद 19 विधायकों वाली कांग्रेस सात सदस्यीय सत्तारूढ़ गठबंधन की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी है. 78 विधायकों के साथ लालू प्रसाद की पार्टी राजद (राष्ट्रीय जनता दल) इस महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है जबकि जदयू (जनता दल यूनाइटेड) के पास 45 विधायक हैं. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में महागठबंधन के दो अन्य सहयोगी में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के चार विधायक, और माकपा के दो विधायक हैं.
(इनपुट: भाषा)