पटना: Dhan Yog in Kundli: धनवान होने का योग कुंडली में एक विशेष महत्व देता है. अगर किसी की कुंडली में धनवान का योग है तो उस व्यक्ति को धन, सम्पत्ति और आर्थिक स्थिति में सुख-शांति मिलती है. इस योग को ज्योतिषीय दृष्टि से व्यक्ति के जन्मकुंडली में विश्लेषण करके निकाला जाता है. यह योग व्यक्ति के कुंडली में नक्षत्र, ग्रहों और भावों के संयोजन से निकलता है.


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ग्रहों के सकारात्मक योगदान से बनता है धनवान योग
धनवान होने के योग में व्यक्ति की लग्नकुंडली और चंद्रकुंडली का विशेष महत्व होता है. लग्नकुंडली पुरुष और स्त्री के स्वाभाविक गुणों और प्राकृतिक विशेषताओं का विश्लेषण करती है जबकि चंद्रकुंडली व्यक्ति के मनस्थिति, भावनाओं और चित्त की स्थिति को दर्शाती है. धनवान होने के लिए संबंधित ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. विशेष रूप से धनकारक ग्रह जुपिटर, धनकारक ग्रह सूर्य, लाभकारक ग्रह वृहस्पति, और शुभ करक ग्रह शुक्र का योगदान महत्वपूर्ण होता है। इन ग्रहों के सकारात्मक योगदान से धनवान होने का योग बनता है.


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धनवान योग के लिए नक्षत्रों का होता है विशेष महत्व
धनवान योग का संबंध दृढ़ धन, धनदायक भाव, धनकारक ग्रह और धनदायक नक्षत्र से होता है. धनदायक भावों में जैसे कि द्वादश भाव (धन भाव), द्वितीय भाव (धन कुटुंब) और त्रिकोण भाव (लाभ भाव) के गुणसंख्या एवं स्थिति का विश्लेषण किया जाता है. धनवान योग के लिए नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है. ज्यादातर मान्यता अनुसार, कृत्तिका, रोहिणी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, रेवती नक्षत्र वाले व्यक्ति को धनवान योग का लाभ मिलता है.


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इस दिन इन राशियों में बनता है यह योग
ग्रहों की युति और दशा-अंतरदशा के कारण भी धनवान होने का योग बनता है. अगर धनकारक ग्रह जुपिटर की दशा या अंतरदशा में धनदायक भावों के साथ योग होता है, तो व्यक्ति को धनवान होने का अवसर मिलता है. कुंडली में धनवान होने के योग का निर्धारण करने के लिए ज्योतिषियों द्वारा विशेष ग्रह योगों, नक्षत्रों, भावों और दशाओं का अध्ययन किया जाता है.


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