Bandi Chhor Divas 2023: यह पर्व सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होता है और इसे दिवाली के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा और इसका महत्व गुरु हरगोबिंद सिंह के साथ जुड़ा है, जो सिखों के छठे गुरु थे. इस दिन का महत्वपूर्ण इतिहास है, क्योंकि इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगल सम्राट जहांगीर ने जेल से रिहा किया था.


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इसके पीछे की कहानी यह है कि मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर किले में सिख गुरु हरगोबिंद साहिब को भी कैद कर लिया था. ग्वालियर किला वह स्थान था जहां मुगल सल्तनत के खतरे के तहत लोग कैद रखे जाते थे. फिर एक दिन जहांगीर को सपने में एक रूहानी हुक्म मिला कि उन्हें गुरु हरगोबिंद साहिब को रिहा करना चाहिए. जब मुगल बादशाह अपनी गलती का अहसास किया, तो उन्होंने गुरु हरगोबिंद साहिब से वापस लौटने की गुजारिश की. गुरु हरगोबिंद साहिब ने अकेले नहीं, बल्कि अपने साथ के 52 कैदियों की भी रिहाई करवाई और इन्हें 52 कली का चोला पहनाया. इस तरह सिख गुरु ने उन सभी कैदियों को मुक्त करवाया जो ग्वालियर किले में बंद थे.


बंदी छोड़ दिवस का महत्व सिख समुदाय में बहुत अधिक है और इसे धूप और दीपों के साथ मनाया जाता है. इस दिन गुरुद्वारों में समागम आयोजित किया जाता है और लोग आतिशबाजी करते हैं. घरों में भी दीप जलाए जाते हैं और लोग इस मौके पर खुशियों का इज़हार करते हैं. बंदी छोड़ दिवस का महत्वपूर्ण हिस्सा है सिख इतिहास का और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो गुरु हरगोबिंद सिंह की महानता को याद दिलाता है. इस दिन को दीवाली के साथ ही मनाने से सिख समुदाय का गर्व और आत्मविश्वास भी बढ़ता है.


इस पर्व के माध्यम से हम सिखते हैं कि समाज में बंधनों को तोड़ने और न्याय की ओर बढ़ने का संकेत मिलता है और हमें दुसरों के साथ मिलकर अच्छे काम करने का प्रेरणा मिलता है. इस पर्व के माध्यम से हम सिखते हैं कि समाज में बंधनों को तोड़ने और न्याय की ओर बढ़ने का संकेत मिलता है और हमें दुसरों के साथ मिलकर अच्छे काम करने का प्रेरणा मिलता है. इस पर्व के माध्यम से हम सिखते हैं कि समाज में बंधनों को तोड़ने और न्याय की ओर बढ़ने का संकेत मिलता है और हमें दुसरों के साथ मिलकर अच्छे काम करने का प्रेरणा मिलता है.


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