पटना : बिहार में जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग के छपरा, सिवान और गोपालगंज के महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान अब नहीं किया जाएगा. उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलसचिव को अपनी तरफ से पत्र भेजा है. जिसमें बताया गया है कि अतिथि शिक्षकों को अब विश्वविद्यालय को अपने आंतरिक स्रोतों से ही मानदेय देना होगा. विश्वविद्यालय में कुल 142 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं. इसके लिए विश्वविद्यालय को प्रतिमाह एक करोड़ के आसपास अतिरिक्त भार पड़ेगा. शिक्षा विभाग ने इसे विश्वविद्यालय के आंतरिक स्रोतों से करने के निर्देश दिए हैं.


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जयप्रकाश विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का मानदेय पिछले छह महीनों से लंबित है. इसका मुद्दा उत्तराधिकारियों ने उठाया है. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि वे शिक्षा विभाग के निर्देश के अनुसार मानदेय का भुगतान अब विश्वविद्यालय से होना चाहिए. इससे अतिथि शिक्षकों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है. अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह और डॉ. हरिमोहन कुमार पिंटू ने बताया कि अतिथि शिक्षकों को मानदेय नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है. वे छपरा, सिवान, और गोपालगंज के अंगीभूत महाविद्यालयों में काम कर रहे शिक्षकों की भी आर्थिक स्थिति खराब है. इसी के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन से होली के मौके पर अतिथि शिक्षकों के बकाया वेतन की मांग की गई है. 


बता दें कि अतिथि शिक्षकों का मानदेय जुलाई 23 से लंबित है और उन्हें पिछले छह महीनों से मिला नहीं है. इसका कारण उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है. अतिथि शिक्षक संघ ने कहा कि अब विश्वविद्यालय प्रशासन के पास कोई बहाना नहीं है. वे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.(डा.) परमेंद्र कुमार बाजपेई और कुलसचिव प्रो.(डा.) रणजीत कुमार से यह मांग कर रहे हैं कि अतिथि शिक्षकों के छह माह का बकाया मानदेय तत्काल भुगतान किया जाए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.


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