पटना: बिहार बोर्ड 2025 से मैट्रिक और इंटर की परीक्षाओं में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) टूल्स का इस्तेमाल करेगा. इस नई तकनीक के जरिए फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ने में काफी मदद मिलेगी. एआई के द्वारा लागू किए गए सिस्टम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्र परीक्षा के फॉर्म भरते समय कोई गलत जानकारी न दें और उनकी उम्र या अन्य जानकारी में कोई छेड़छाड़ न हो. बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर के अनुसार अगले वर्ष से एआई, मशीन लर्निंग और चैटबॉट जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई छात्र अपनी उम्र कम करने के लिए नाम में परिवर्तन कर फॉर्म न भर सके.


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जानकारी के लिए बता दें कि नई प्रणाली के तहत छात्रों द्वारा दी गई जानकारी की सहीता की जांच की जाएगी, खासकर उनकी जन्मतिथि (डेट ऑफ बर्थ) के संदर्भ में. मैट्रिक परीक्षा के दस्तावेज़ को महत्वपूर्ण माना जाता है और अब से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई छात्र अपने दस्तावेजों को बदलकर फर्जी तरीके से परीक्षा में बैठने की कोशिश न करे. इस सिस्टम के जरिए, बोर्ड को यह जानकारी भी मिलेगी कि क्या कोई छात्र अपनी उम्र छिपाने की कोशिश कर रहा है या उसने किसी अन्य जानकारी में गलत जानकारी दी है.


इसके अलावा इस तकनीक को लागू करने के बाद बिहार बोर्ड देश का पहला बोर्ड होगा, जो इस तरह के एआई टूल्स का इस्तेमाल करेगा. इसके अलावा बिहार बोर्ड अपनी प्रक्रिया का आईएसओ सर्टिफिकेशन भी कराएगा. इसके लिए मेजर्स TQMS Pvt. Ltd. कंपनी को टेंडर दिया गया है और कंपनी को वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया गया है.


साथ ही इस नई पहल से परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी उम्मीदवारों की संख्या में कमी आएगी. बोर्ड का मानना है कि इस तकनीक से छात्रों के लिए एक निष्पक्ष और सुरक्षित परीक्षा माहौल सुनिश्चित किया जाएगा.


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