Patna: कोरोना की वजह से ना सिर्फ मरीजों की मौत हो रही है बल्कि इसके दूसरे असर भी अब सामने आने लगे हैं. बिहार सरकार की अहम परियोजना खासकर वैसी परियोजना जो निर्माण से जुड़ी हुई हैं उस पर इसका असर अब देखने को मिलने लगा है.


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बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड यानि बीएसआरडीसी के बड़े प्रोजेक्ट्स के निर्माण पर ग्रहण लगने की आशंका दिखने लगी है. दरअसल, ये दो कारणों से हो रहा है. पहला कारण ये है कि बड़े सरकारी दफ्तरों में बड़े स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना हो रहा है. इस महामारी से बिहार में शायद ही कोई विभाग या दफ्तर हो जहां काम करने की रफ्तार धीमी नहीं हुई है.


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बीएसआरडीसी के चीफ जनरल मैनेजर संजय कुमार के मुताबिक, ऑफिस में अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से फाइलों को निपटाने में देरी हो रही है. बिहार में सड़क निर्माण से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी बीएसआरडीसी पर ही है. देरी सिर्फ फाइलों को निपटाने में ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन सप्लाई की कमी ने भी बड़े परियोजना के पूरे होने के लक्ष्य को डिले कर दिया है.


सड़क निर्माण में कटिंग, फिटिंग में ऑक्सीजन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. लेकिन सरकार की पहली प्राथमिकता अभी हेल्थ सेक्टर को ऑक्सीजन देने की है लिहाजा बिहार और पटना में बड़ी परियोजनाओं पर ब्रेक लगा है. राजधानी में बीएसआरडीसी के कई प्रोजेक्टस को जुलाई तक शुरू करने का लक्ष्य था लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है. 


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पटना में ही कच्चीदरगाह-बिदुपर सिक्स लेन गंगा ब्रिज के एक हिस्से को जून में शुरू होना था लेकिन मजदूरों की घटती संख्या और ऑक्सीजन सप्लाई पर रोक से अब ये संभव नहीं दिख रहा है. उसी तरह पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यानि पीएमसीएच को गंगा से जोड़ने वाले रास्ते पर काम रूक गया है. 


बीएसआरडीसी के मुताबिक, दो वजहों से ऐसा हो रहा है. यह 2 वजह है मजदूरों की कमी और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी. बीएसआरडीसी के चीफ जनरल मैनेजर संजय कुमार ने बताया कि 'परियोजना स्थल से मजदूर कोरोना के डर से घर भाग रहे हैं और हम किसी को ऐसा करने से रोक नहीं सकते हैं. दूसरी वजह अभी सरकार की प्राथमिकता ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पतालों और मरीजों के लिए उपलब्ध कराना है और हमें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहा है. पूरे बिहार में बीएसआरडीसी के 14 प्रोजेक्टस पर काम जारी था लेकिन कोरोना की वजह से अब काम पर रोक सा लग गया है. अगर सरकार लॉकडाउन जैसा कोई फैसला लेती है तो परियोजनाओं को पूरा होने में महीनों भर की देरी हो सकती है.'