पटना: बिहार एनडीए में क्या चल रहा है ये शायद गठबंधन के लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व 'ऑल इज वेल' की बात करता है लेकिन बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच नूरा कुश्ती का खेल जारी है.


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नीतीश की रणनीति में बीजेपी नहीं!
इस बीच, सीएम नीतीश के मन में इन दिनों क्या चल रहा है पुख्ता तौर पर ये कोई नहीं बता सकता. क्योंकि जिस रणनीति पर वो चल रहे हैं उसमें बीजेपी कहीं से नजर नहीं आ रही है. दरअसल, ये सवाल इसलिए उठा क्योंकि सोमवार को दिल्ली में द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली लेकिन समारोह में सीएम नीतीश नहीं गए.


BJP के कार्यक्रमों से नीतीश दूर!
हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने बीजेपी की तरफ से आयोजित कई कार्यक्रमों से अपने आप को अलग रखा हुआ है, जिसे लेकर सियासी सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार NDA में सबकुछ ठीक नहीं है? हालांकि, इन सवालों पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जो लोग इस पर बयानबाजी कर रहे हैं उन्हें तत्व की जानकारी रखना चाहिए.


बीजेपी के साथ नीतीश सहज नहीं: राजद
इस पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, 'भाजपा और जदयू में क्या चल रहा, समझ में नहीं आता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा के साथ पहले की तरह सहज नहीं रहे. शपथ ग्रहण में नहीं शामिल होने की वजह तो वही दोनों जाने.'


कब-कब नीतीश ने बनाई दूरी
वहीं, सूत्रों के अनुसार, सीएम नीतीश की तबीयत ठीक नहीं है, इसी वजह से सीएम दिल्ली नहीं गए लेकिन क्या यही बात है? दरअसल, ये कोई पहला मौका नहीं है जब नीतीश कुमार ने दिल्ली से अपनी दूरी बनाई. इससे पहले 17 जुलाई को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की एक बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया.


राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में BJP कोटे से उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद बिहार से हिस्सा लेने पहुंचे थे. वहीं, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की विदाई के सम्मान में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरफ से आयोजित रात्रिभोज में भी नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. उस समय नीतीश कुमार ने विधान परिषद के सात नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ समारोह का हवाला देते हुए अपने आप को उस कार्यक्रम से अलग रखा.


इत्तेफाक है या रणनीति?
तो क्या ये महज इत्तेफाक है या फिर सोची समझी रणनीति का हिस्सा. हालांकि, बीजेपी इसे नीतीश का व्यक्तिगत कारण बता रही है. भाजपा प्रवक्ता अखिलेश सिंह ने कहा, ' नीतीश कुमार ने कोई किनारा नहीं किया है. राष्ट्रपति चुनाव में जेडीयू के जितने भी विधायक-सांसद थे सभी ने अपना मतदान किया.'


सिंह ने कहा, 'उन्होंने (नीतीश) पब्लिक डोमेन में आकर स्पष्ट कहा कि हम द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं. कोई व्यक्तिगत कारण रहा होगा जिससे वह नहीं गए हैं. इसका कोई दूसरा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.'


दलित और अदिवासी विरोधी नीतीश: कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी ने कहा,'महामहिम राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नहीं जाना सीएम का महिला विरोधी और दलित विरोधी होना उजागर करता है. वह जब से सीएम बने हैं तब से प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर दिया है. उन्होंने आज साफ साबित कर दिया कि वो दलित और आदिवासी विरोधी हैं.'


दरअसल, सीएम की दूरी के मुद्दे को ना JDU तूल देना चाहती है ना बीजेपी इस पर चर्चा चाहती है. लेकिन सियासत में ऐसी हवा को ही तो भांपा जाता है तभी तो पता चलता है कि राजनीति में हो क्या रहा है. दिल्ली बीजेपी से सीएम नीतीश की दूरी बहुत कुछ कह रही है.


(इनपुट-शैलेंद्र कुमार/रूपेंद्र श्रीवास्तव)