Patna: बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) ने कोरोना पीड़तों की मदद के लिए 46 एम्बुलेंस (Ambulance) देने का फैसला लिया है. पार्टी के सभी विधायक सांसद एमएलसी अपने अपने क्षेत्र में दो-दो एम्बुलेंस देंगे लेकिन बड़ा सवाल एम्बुलेंस के मेंटेनेंस को लेकर उठ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दान में मिली एम्बुलेंस के मेंटेनेंस का कोई सरकारी प्रावधान नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को एम्बुलेंस देने से पहले उसके पड़े-पड़े सड़ने की चिंता सताने लगी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

21 मई को पूर्व पीएम राजीव गांधी (Rajeev Gandhi) की 30वीं पुण्यतिथि है. इस दिन कांग्रेस कोविड मरीजों की सहूलियत के लिए 46 एम्बुलेंस दान करने की तैयारी कर रही है. पार्टी के सभी विधायक, एमएलसी और सांसद अपने-अपने क्षेत्र में दो-दो एम्बुलेंस दान करेंगे. पार्टी के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास के निर्देश पर पार्टी ने ऐसा फैसला लिया है.


इसके साथ ही अब पार्टी के सामने संकट ये आ खड़ी हुई है कि ये एम्बुलेंस आखिर चलाएगा कौन? दरअसल, एम्बुलेंस चलाने का मतलब है एम्बुलेंस का मेंटेनेंस, ड्राइवर की नियुक्ति, उसका वेतन आदि से जुड़ा मसला, गाड़ी में तेल का इंतजाम कौन करेगा?


ये भी पढ़ें- BJP के 'पितामह' लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर चर्चा में आया था ये IAS, आज है केंद्रीय मंत्री


कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि बिहार सरकार को अपनी एम्बुलेंस को लेकर बनाई पॉलिसी और प्रावधानों में तत्काल बदलाव करने की जरूरत है. अगर कोई पार्टी या संगठन जरूरत पड़ने पर आपदा की घड़ी में एम्बुलेंस सरकार को देना भी चाहे तो उसका प्रॉपर इस्तेमाल प्रायः नहीं हो पाता है जिसके कारण कई एम्बुलेंस पड़े-पड़े सड़ जाते हैं और अपने उद्देश्यों को पूरा नही कर पाते हैं.


इस दिशा में मुख्यमंत्री को प्रावधानों में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि उसका सही इस्तेमाल हो सके. प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि ऐक्षिक कोष से पार्टी के सभी विधायक, एमएलसी, सांसदों को मिलाकर लगभग 50 एम्बुलेंस सरकार को दिया जाएगा लेकिन प्रॉपर इस्तेमाल कैसे हो यह निर्णय सरकार को लेना चाहिए.