Bihar Political Kissa: जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में लालकृष्ण आडवाणी गृहमंत्री बने तो उस आईएएस अधिकारी को उन्होंने अपने मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया था.
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Patna: आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) बनने के बाद पद, प्रतिष्ठा और पैसा के मामले में जितना शानदार करियर है, उतना ही इन पदों पर नौकरी करने की अपनी चुनौतियां भी होती है. नौकरशाहों को राजनेताओं से काफी तालमेल मिलाकर काम करना पड़ता है. एक तरह से देखा जाए तो यह पेशा दो धारी तलवार पर चलने जैसा होता है. आप जरा भी चूके तो जख्म लगना तो तय ही है.
यही वजह है कि अधिकांश आईएएस अधिकारी पक्ष हो या विपक्ष हर दल के नेताओं से एक जैसा व्यवहार रखने की कोशिश करते हैं. ताकी कभी सत्ता बदले तो भी उनपर किसी तरह का प्रभाव न पड़े.
आज हम बिहार कैडर के दो ऐसे पूर्व आईएएस अधिकारी की बात करेंगे, जिनमें एक ने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya janata party) के पितामह माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को राम मंदिर रथ यात्रा (Rath Yatra) के दौरान गिरफ्तार करने से इनकार कर दिया था तो वहीं दूसरे अधिकारी ने सुबह-सुबह आडवाणी के कमरे में जाकर उन्हें गिरफ्तारी वारंट थमाया था.
लालकृष्ण आडवाणी ने देश भर में रथ यात्रा निकालने का फैसला किया
दरअसल, यह बात 25 सितंबर 1990 की है. देश में मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू होने के बाद भाजपा ने लोगों के दिलों में बसे राम मंदिर के मुद्दे के जरिए राजनीति में अपना जगह बनाने का फैसला किया. इसके लिए भाजपा के पितामह लालकृष्ण आडवाणी ने देश भर में रथ यात्रा निकालने का फैसला किया.
लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू कर दी
इसके बाद फिर क्या था राम मंदिर के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू कर दी. मंदिर आंदोलन को गरमाने के लिए आडवाणी रथ यात्रा का पहला चरण पूरा कर दूसरा चरण 19 अक्टूबर को बिहार के धनबाद से शुरू करने वाले थे. इसी दौरान बिहार के सीएम लालू यादव ने लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का फैसला किया.
IAS अफजल अमानुल्लाह ने आडवाणी को गिरफ्तार करने से मना कर दिया
इसके लिए लालू ने धनबाद के उस समय के उपायुक्त अफजल अमानुल्लाह को निर्देश दिया कि वो आडवाणी को वहीं गिरफ्तार कर लें. प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तारी का वारंट तैयार करके संबंधित अधिकारियों को दे दिया था, लेकिन आईएएस अधिकारी अमानुल्लाह ने एकदम ऐन वक्त पर ऐसा करने से इनकार कर दिया.
अफजल अमानुल्लाह के मना करने का ये था वजह
दरअसल, अमानुल्लाह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक सैयद शहाबुद्दीन के दामाद थे. ऐसे में उन्हें लग रहा था कि यदि वह आडवाणी जी को गिरफ्तार करते हैं तो इस कदम से गलत संदेश जा सकता है और समाज में तनाव बढ़ेगा. वह नहीं चाहते थे कि उस समय इस गिरफ्तारी को लेकर समाज में किसी तरह से कोई गलत संदेश जाए या फिर हिंदू-मुस्लिम आदि के एंगल से पूरे मामले को जोड़ दिया जाए. यही वजह है कि उन्होंने इस मामले से खुद को अलग रखना ही उचित समझा.
डीएम आरके सिंह ने राज्य सरकार के आदेश पर आडवाणी को गिरफ्तार किया
फिर रथ यात्रा 22 को पटना पहुंचा. गांधी मैदान में राम भक्तों की भारी भीड़ को लाल कृष्ण आडवाणी ने संबोधित किया. इसके बाद 22 की रात में आडवाणी समस्तीपुर गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे. 23 अक्टूबर की सुबह रथयात्रा निकालने से पहले ही समस्तीपुर के बतौर विशेष डीएम आरके सिंह ने राज्य सरकार के आदेश पर आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया.
दुमका जिला के मसानजोर में आडवाणी को रखा गया
जब लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया गया, उससे पहले राज्य में फोन सेवा कुछ समय के लिए ठप कर दिया गया. इसके साथ ही हेलीकॉप्टर से आडवाणी जी को तुरंत वहां से लेकर दुमका जिला के मसानजोर में उन्हें रखा गया. हालांकि, आडवाणी को गिरफ्तार कर मसानजोर स्थित सरकारी गेस्ट हाउस में ले जाने के बाद आरके सिंह जब आडवाणी जी को लेकर गेस्ट हाउस की सीढ़ियों पर चढ़ रहे थे. उस समय उन्होंने वहां के इंचार्ज से कहा था कि आडवाणी जी को किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
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एलके आडवाणी ने आरके सिंह को अपने मंत्रालय में बनाया था संयुक्त सचिव
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब 1999 में केंद्र में अटल सरकार बनी तो आडवाणी को गृह मंत्री का पद मिला था. इस दौरान एलके आडवाणी ने आरके सिंह को उनके साहस व स्वच्छ छवि को देखते हुए गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त कर लिया था.
केंद्र में दूसरी बार मंत्री बने आरके सिंह
अब वर्तमान में आरके सिंह दूसरी बार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बने हैं. आरा से 2014 और फिर 2019 में लगातार दो बार चुनाव जीतने के बाद दिल्ली पहुंचे आरके सिंह को मोदी सरकार ने दोनों बार केंद्र सरकार में मंत्री बनाया है.