15 दिन बाद बिहार के साथ जुड़ने वाला है बहुत शुभ अंक, क्या राज्य की जनता का भला होगा?
बिहार सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसमें 22 मार्च को पब्लिक हॉलिडे के रूप में मनाने की बात कही जाती है. यह पब्लिक हॉलिडे सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी कार्यालयों और कंपनियों पर लागू होता है.
पटना: बिहार के साथ 15 दिन बाद बहुत ही शुभ अंक जुडने जा रहा है. 15 दिन बाद बिहार सरकार इस बात को लेकर जश्न का आयोजन भी करने वाली है. आयोजन 22 से लेकर 24 मार्च तक चलेगा. यह दिन बिहार के लोगों को राज्य के गौरव को याद करने का दिन होगा. इस दिन राज्य में सार्वजनिक अवकाश भी रहता है और राजधानी पटना के अलावा हर जिले में अलग अलग तरह के आयोजन किए जाते हैं. हम बात कर रहे हैं बिहार दिवस की. 22 मार्च को बिहार दिवस का आयोजन किया जाएगा. इस दिन बिहार पूरे 111 साल का होने जा रहा है. है न यह बहुत शुभ अंक. आपको बता दें कि 22 मार्च 1912 में बंगाल के विभाजन के बाद बिहार स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था. तब से लेकर अब तक हर साल बिहार दिवस का आयोजन किया जाता रहा है. इस बार बिहार दिवस की थीम 'युवा शक्ति— बिहार की प्रगति' रखा गया है.
बिहार दिवस पर नीतीश सरकार ने शुरू किया भव्य आयोजन
बिहार केवल भारत का राज्य भर नहीं है. इसके इतिहास में जाएंगे तो महारानी सीता, महर्षि वाल्मीकि, गुरुनानक देव, चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य, अशोका द ग्रेट जैसे महापुरुषों का जन्म इस धरा पर हुआ है. नीतीश सरकार ने बिहार दिवस के आयोजन को बड़े पैमाने पर शुरू किया था. बिहार ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों के अलावा विदेश जैसे आस्ट्रेलिया, कनाडा, मॉरीशस, बहरीन, कतर, यूएई, त्रिनिदाद और टोबैगो में भी बिहार दिवस पर भव्य तरीके से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
बिहार दिवस पर राज्य में हर साल होता है सार्वजनिक अवकाश
हर साल बिहार सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसमें 22 मार्च को पब्लिक हॉलिडे के रूप में मनाने की बात कही जाती है. यह पब्लिक हॉलिडे सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी कार्यालयों और कंपनियों पर लागू होता है. 1912 में बंगाल से अलग होकर बिहार अस्तित्व में आया था. 1935 में उड़ीसा को इससे अलग किया गया. आजादी के आंदोलन में बिहार के चंपारण सत्याग्रह आंदोलन को अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह का प्रारंभ माना जाता रहा है. सन 2000 में बिहार का एक और विभाजन हुआ और झारखंड को इससे अलग कर दिया गया था.
प्राचीन काल में शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र था बिहार
पुराने समय में बिहार शिक्षा के बड़े केंद्र के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध था. नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्रों में शुमार थे. आजादी के बाद से लंबे समय तक बिहार के युवाओं ने देशभर के अलावा विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ी. आज भी प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहार के युवाओं की अपनी एक पहचान है. इन सबके अलावा बिहार के युवा हर फील्ड में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. 2012 में बिहार ने आधिकारिक रूप राज्य गीत के रूप में 'मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत शत वंदन विहार' को अपनाया गया था. प्रख्यात बांसुरीवादक हरिप्रसाद चौरसिया और प्रसिद्ध संतूर वादक शिवकुमार शर्मा ने इस गीत को अपनी सुरों से सजाया है. गीत को शब्द देने का काम मशहूर कवि सत्यनारायण ने किया है.
पहली बार भूटान में होगा बिहार दिवस का आयोजन
बिहार सरकार ने पहली बार भूटान में बिहार दिवस के आयोजन का फैसला लिया है. राज्य के संस्कृति विभाग के अफसरों की मानें तो पटना के गांधी मैदान के साथ ही भूटान में भी बिहार दिवस के आयोजन का फैसला लिया गया है. सरकार के इस कदम से भूटान के लोगों को बिहार दिवस के माध्यम से बिहार के बारे में अधिक से अधिक जानने का मौका मिलेगा. 22 मार्च को भूटान में भी बिहार दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा. भूटान सरकार ने इसके लिए बिहार सरकार को न्यौता भी भेजा है. भूटान में बिहारी व्यंजनों का स्टॉल लगाया जाएगा. बिहार दिवस के आयोजन में भूटान के लोग अब आलू की जलेबी, गुड़ का रसगुल्ला, गुड़ की जलेबी, लिटटी चोखा, मखाने की खीर, छेने का पुआ, सेव बुनिया, इमरती, अनरसा, लौंगलता आदि का स्वाद चख सकेंगे.
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