Bihar Ghost Fair: बिहार और मेलों का रिश्ता बहुत पुराना है. यहां छोटे-बड़े त्योहारों पर मेला लगना आम बात है, लेकिन क्या आपने कभी 'भूतों का मेला' सुना है? बिहार में नवरात्रि पर कई जगहों पर 'भूतों का मेला' लगता है. राजधानी पटना से 45 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी प्रखंड की शाहाबाद पंचायत के छाता गांव में नवरात्रि के नवमी पर 'भूतों का मेला' लगता है. लोगों की मान्यता है कि प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों को यहां आने से मुक्ति मिलती है. भूतों के इस मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. ब्रह्मस्थान की सेवादार सीमा कुमारी ने बताया कि पिछले 40 सालों से यहां पर लोगों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिल रही है. इस ब्रह्म स्थान मंदिर में बस एक लोटा जल चढ़ाकर, हर तरह की प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है.


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इसी तरह से भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के इटहना गांव में नवरात्रि के समय और आम दिनों में भी ‘भूतों का मेला’ लगता है. मान्यता है कि यहां ब्रह्म बाबा और शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल पीने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. जानकारी के अनुसार, इटहना गांव में हर अमावस्या को मेला लगता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान हर दिन यहां 10,000 से अधिक लोग यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि सदियों से यहां भूतों का मेला लगता आ रहा है. इस मेले में गया, सीतामढ़ी, नवादा, रोहतास समेत बिहार के विभिन्न जिलों से लोग आते हैं. मान्यता के अनुसार, इटहना के बाबा ने इसी स्थान पर समाधि ली थी, और उनकी शक्ति से भूत-प्रेत की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. हालांकि, कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं.


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बिहार के बगहा जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के जंगल के बीच में भी 'भूतों का मेला' लगता है. जानकारी के अनुसार, यहां स्थित गोबरहिया स्थान पर वर्ष 2001 से भूत-प्रेत से मुक्ति का खेल चलता आ रहा है. हर नवरात्र को भूतों का मेला लगता है. यूपी के सिसवा से आई खुशबू सहनी का कहना है कि वे विगत दस वर्षों से गोबराहिया देवी स्थान आ रही हैं. 10 वर्ष पूर्व उन्हें कई बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज भी कर चुकी थी. लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था. अंत में थक हार कर वे गोबरहिया देवी की शरण में आई और आज भी काफी बेहतर है. प्रशासन और पुलिस भी तमाशबीन बनी रहती है.


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