बिहार: नीतीश सरकार ने पत्रकारों को माना फ्रंटलाइन वर्कर, टीकाकरण कराने का लिया फैसला
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बिहार: नीतीश सरकार ने पत्रकारों को माना फ्रंटलाइन वर्कर, टीकाकरण कराने का लिया फैसला

बिहार सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पत्रकारों के फ्रंटलाइन वर्कर माना है.

नीतीश कुमार की सरकार ने पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर माना है (फाइल फोटो)

Patna: बिहार सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पत्रकारों के फ्रंटलाइन वर्कर माना है. सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए बैठक में सरकार ने पत्रकारों का टीकाकरण कराने का फैसला लिया है.  ऐसा करने वाला बिहार उड़ीसा के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है. बिहार सरकार ने अपने बयान में कहा है कि चिन्हित पत्रकारों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण कराया जाएगा.

इससे पहले उड़ीसा सरकार ने भी बयान जारी कर पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर मानने की बात आज (रविवार) को कही है. उड़ीसा ने जारी किए गए बयान में कहा है कि ओडिशा के तमाम पत्रकार फ्रंटलाइन वॉरियर हैं. उन्होंने इस कोरोना काल में बेहतरीन काम किया है, लोगों तक जरूरी खबर पहुंचाई है, कोरोना को लेकर जागरूक किया है और इस महायुद्ध में एक सक्रिय भूमिका निभाई है.

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बिहार सरकार ने कहा कि इस महामारी के दौर में पत्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन बेहतर तरह से कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के खतरों के प्रति पत्रकार लोगों को जागरुक कर रहे हैं. ऐसे में इन्हें फ्रंटलाइन वर्कर मानकर प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन कराने का निर्देश दिया गया है.

इससे पहले भी नीतीश कुमार सरकार ने पत्रकारों के लिए कई अहम फैसले लिए हैं. पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के 48 पत्रकारों के पेंशन को मंजूरी देकर बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना की शुरुआत की थी. इनमें से 40 पत्रकारों को 14 नवंबर 2019 के प्रभाव से, 5 पत्रकारों को 6 मार्च 2020 और 3 पत्रकारों को 16 मार्च 2020 के प्रभाव से सम्मान पेंशन दी गई थी. बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना तहत प्रतिमाह प्रति पत्रकारों को 6,000 रुपए पेंशन देने की घोषणा हुई थी.

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान पत्रकार दिन-रात फील्ड में रहकर रिपोर्टिंग करते हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. यही वजह है कि दिल्ली समेत कई राज्य में पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित कर कोरोना वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर कराए जाने की मांग हो रही है. ऐसे में उड़ीसा के बाद बिहार ऐसा दूसरा राज्य है, जिसने पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर माना है.

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