Patna: बिहार में कोरोना से हुई मौतों को लेकर बखेड़ा हो गया है. सरकार की तरफ से मृतकों की संख्या बदल-बदलकर बताए जाने पर विपक्ष ने हंगामा कर दिया है. विपक्ष ने सरकार पर कोरोना से हुई मौत के मामले में घालमेल और फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है. मुख्य विपक्षी दल RJD के साथ इस बार कांग्रेस भी आक्रामक हो गई है. विपक्ष ने कोरोना के नाम पर बड़े घोटाले का आरोप लगा दिया है.


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24 घंटे के भीतर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में बड़ा बदलाव 
कोरोना को लेकर विपक्ष पहले ही सरकार के खिलाफ बेहद आक्रामक रहा है. पिछले साल कोरोना जांच में हुई धांधली का मामला अब भी समय-समय पर सुलगता रहता है. ऐसे में इस बार मौत के आंकड़ों ने विपक्ष को हमले का बड़ा हथियार दे दिया. दरअसल, पिछले महीने सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एक समिति बनाई थी. इस समिति को प्रदेश के सभी जिलों से जानकारी जुटाकर और जांच के बाद एक रिपोर्ट बनानी थी. इस रिपोर्ट के जरिए स्वास्थ्य विभाग को कोरोना से हुई मौत की वास्तविक संख्या पता करनी थी.


समिति गठन के लगभग 20 दिन बाद सरकार ने बिहार में कोरोना से हुई मौत का आंकड़ा जारी किया. इसमें प्रदेश में 5 हजार से कुछ ज्यादा लोगों की मौत की बात बताई गई. लेकिन मुश्किल तब हो गई जब इसी सरकार और इसी स्वास्थ्य विभाग ने 24 घंटे के भीतर अपनी ही रिपोर्ट बदल दी. इस बार जो आंकड़ा जारी हुआ, उसके तहत प्रदेश में 9 हजार से भी ज्यादा लोगों के मरने की बात बताई गई. इसको लेकर सवाल उठना स्वाभाविक था कि आखिर 24 घंटे में ही आंकड़ों में इतना बड़ा फेरबदल कैसे हो गया.


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बदले आंकड़े पर विपक्ष हुआ आग-बबूला 
सरकार की तरफ से 24 घंटे के भीतर पेश किए गए दो अलग-अलग आंकड़ों पर विपक्ष भड़क गया है. विपक्ष ने सरकार पर कोरोना काल में लोगों को गुमराह करने और उनके साथ धोखे का आरोप लगाया है. विपक्ष का कहना है कि 'जब सरकार के पास कोविड पॉजिटिव लोगों के सारे आंकड़े मौजूद थे, फिर मौत के आंकड़े इतने गलत कैसे हो गए.' विपक्ष सरकार पर हमलावर है और सच सामने लाने की मांग कर रहा है.


विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय दोनों हैं. कांग्रेस का कहना है कि 'इस मामले में घोटाले की आधारशिला रखी जा रही है. सरकार सभी मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख बतौर मुआवजा देने जा रही है, जिसके लिए भारी भरकम राशि का आवंटन होगा. इसलिए आनन-फानन में मृतकों की संख्या को लेकर खेल शुरू हो गया है. जितने ज्यादा मृतक होंगे, उतनी ज्यादा राशि की बंदरबांट होगी.' कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में 'श्वेत पत्र' जारी करने की मांग की है.


विभागीय तर्क से राजनीतिक विश्लेषक भी असहमत 
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री का तर्क है कि 'सरकार कोरोना पीड़ितों को हर तरह से मदद पहुंचाना चाहती है. इसलिए आंकड़ों को कम करने का हमारा कोई मकसद नहीं है. अगर हमें विपक्ष के सियासी विरोध की चिंता करनी होती तो पुराने आंकड़े पर ही चुप रहते. हमने सभी जिलों से पूरी जांच के बाद आंकड़े जुटाए और तब सार्वजनिक किया.'


हालांकि, राजनीतिक मामलों के जानकार स्वास्थ्य विभाग के इस तर्क से बहुत सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि 'पहले के आंकड़े भी तो सरकार ने ही जारी किए थे. जितने लोग भी प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव हो रहे थे, उनकी रिपोर्ट रोजाना शाम तक स्वास्थ्य विभाग और उसके मंत्री तक पहुंचती थी. उसी आधार पर रोज आंकड़े बताए जाते थे कि कितने पॉजिटिव हुए, कितने स्वस्थ हुए या कितनों की मौत हुई. फिर उस सिस्टम में कहां चूक हुई कि पहले बताई गई मौत की संख्या और अब बताए गए आंकड़े में इतना फर्क आ गया है?'


फिलहाल इस मुद्दे को विपक्ष ने जोर-शोर से उठा दिया है. सरकार कितनी भी सफाई दे, लेकिन विपक्ष के तेवर से लगता नहीं कि ये मामला इतनी आसानी से खत्म हो पाएगा.