बिहार में शराबबंदी पर उठ रहे सवाल, एक साल में सामने आए ये नए आंकड़े
राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी है. विभागीय प्रशासन की अनदेखी के कारण प्रदेश में शराबबंदी मुहिम फेल हो गई है. 11 महीने की बात करें तो 2 जनवरी से 12 नवंबर 2022 तक 11 लाख लोगों की शराब पीने को लेकर ब्रेथ एलाइजर मशीन से जांच की गई है.
पटना : प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी है,लेकिन आए दिन इस पर खूब सवाल उठते हैं. इस बार जो आंकड़े मद्य निषेध और उत्पाद विभाग ने जारी किए हैं उसने प्रदेश शराबबंदी मुहिम पर एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है. दरअसल, उत्पाद विभाग में जो आंकड़े उपलब्ध कराएं हैं उसके अनुसार प्रदेश में अगर 100 लोगों की ब्रेथ एलाइजर मशीन से जांच की जाती है, तो 11 लोग शराब के नशे में पकड़े जा रहे हैं. यानी जो दावे सरकार और पुलिस की तरफ से किए जा रहे हैं वह दावे खोखले साबित हो रहे हैं. प्रदेश में ना सिर्फ शराब की बिक्री हो रही है बल्कि लोग शराब का सेवन भी धड़ल्ले से कर रहे हैं.
सरकार की शराबबंदी मुहिम हुई फेल, सामने आए ये आंकड़े
बता दें कि राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी है. विभागीय प्रशासन की अनदेखी के कारण प्रदेश में शराबबंदी मुहिम फेल हो गई है. 11 महीने की बात करें तो 2 जनवरी से 12 नवंबर 2022 तक 11 लाख लोगों की शराब पीने को लेकर ब्रेथ एलाइजर मशीन से जांच की गई है. यानी 11 महीने में 11 लाख लोगों की जांच और इसके लिए राज्य में 213 नए ब्रेथ एनालाइजर मशीन की भी खरीद की गई. 2 जनवरी 2022-12.11.2022 तक कुल 11 लाख 297 लोगों की जांच की गई, जिसमें 920962 लोग नेगेटिव पाए गए.
रिपोर्ट शराब पीने को लेकर आई पॉजिटिव
बिहार के उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि आंकड़ों में अगर पूरे हिसाब की बात करें तो तकरीबन 11.34% लोगों में शराब पीने की पुष्टि हुई है, 100 लोगों की जांच में 11 से ज्यादा लोग शराब के नशे में धुत पाए जा रहे हैं. जो आंकड़ा जारी किया गया है इस बाबत हमने उत्पाद विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी जानना चाहा की पूर्ण शराबबंदी के बावजूद ये आंकड़े क्यों है, तो उत्पाद आयुक्त ने भी माना की शराबबंदी मुहीम के ड्राइव को और बढ़ाया जाएगा. साथ ही ग्रामीण इलाकों में विशेष सतर्कता के साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा.
कानून को सख्त होने की है जरूरत
पटना हाई कोर्ट के वकील प्रभात भारद्वाज का कहना है यह आंकड़े तो तब है जब पुलिस शक के आधार पर किसी को रोककर ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट करती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह आंकड़े जितने दिखाए गए हैं उससे कई गुना लोग शराब के नशे में है. ऐसे में कानून को थोड़ा और सख्त करने की जरूरत है और जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है ताकि शराबबंदी का असल उद्देश्य क़ायम रह सके.
इनपुट- रितेश भारती