Bihar Teacher: शिक्षकों का मुद्दा बिहार सरकार के लिए बना सिरदर्द! अब सरकार को निकालना है बीच का रास्ता
Bihar Teacher Recruitment: बिहार में करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों की मांग को लेकर सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल चुके हैं. सभी नेता सकारात्मक बात का दावा कर रहे हैं.
पटना: Bihar Teacher Recruitment: बिहार में करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों की मांग को लेकर सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल चुके हैं. सभी नेता सकारात्मक बात का दावा कर रहे हैं. लेकिन, शिक्षकों के मुद्दे को सुलझा पाना सरकार के लिए इतना आसान दिख नहीं रहा.
बिहार के नियोजित शिक्षक बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी के दर्जा की मांग कर कई महीनों से आंदोलनरत हैं. पिछले दिनों प्रदर्शनकारी शिक्षकों पर लाठीचार्ज और विपक्ष के मिलते समर्थन के बाद सरकार को वार्ता का दरवाजा खोलना पड़ा. इस दौरान महागठबंधन में शामिल दलों का भी समर्थन मिला. जानकार बताते हैं कि नियोजित शिक्षकों को अगर राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाता है तो सरकार को सरकारी शिक्षकों का वेतन भी देना होगा.
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उल्लेखनीय है कि सरकार ने इन शिक्षकों को बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक नियुक्ति परीक्षा उत्तीर्ण कर सरकारी शिक्षक बनाने की बात की है, जबकि शिक्षक संघ बिना किसी परीक्षा दिए राज्यकर्मी का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. वैसे, माना जा रहा है कि अगर सरकार शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे भी देती है, तो सरकार के लिए राह आसान नहीं है. दरअसल, नियोजित शिक्षक उतना ही काम करते हैं, जितना सरकारी शिक्षक भी करते हैं, लेकिन दोनों के वेतन में अंतर है. शिक्षक संघ समान काम के बदले समान वेतन की भी मांग कर रहे हैं.
सरकारी शिक्षकों की जो नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है, उन्हें 44 हजार से 55 हजार के बीच वेतन मिलेगा, जबकि समान काम करने के बावजूद नियोजित शिक्षकों को 30 हजार से 45 हजार के बीच ही वेतन मिलेगा.
भाजपा विधानमंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा कहते हैं कि सरकार नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देते हुए उन्हें नियमित शिक्षकों के समान वेतन और सेवा शर्ते लागू करते हुए सीधा समायोजन करें. सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ महागठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद विभिन्न दलों के नेताओं के बयान से यही लग रहा है कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ फिर से छलावा करने जा रही है. बैठक में शिक्षक संघ के नेताओं को भी आमंत्रित नहीं किया गया. यदि सरकार गम्भीर है तो इन्हें सीधा समायोजित किया जाय और नियमित शिक्षकों के समान वेतन और सेवा शर्तों को लागू की जाए. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एक बार फिर विभागीय परीक्षा के आधार पर इन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने की सरकार की मंशा इन्हें अटकाने-भटकाने के लिए खेल का हिस्सा है.
(इनपुट-आईएएनएस)