पटना: Jan Suraj Yatra: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों जन सुराज अभियान के तहत बिहार के तमाम जिलों का दौरा कर रहे हैं. इस दौरे में उनके साथ समाजसेवी व शिक्षाविद अक्षय आनंद भी हैं. 


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बिहार के सामने क्या है बड़ी चुनौती?
पीके की यात्रा को लेकर आनंद कहते हैं, 'आजादी के इतने वर्ष के बाद भी बिहार की स्थिति काफी दयनीय है. आज भी बिहार दम तोड़ती शिक्षा व्यवस्था, गरीबी, भुखमरी व बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है. आजादी के बाद भी उस बिहार का कायाकल्प नही हो सका जिसके खुशहाली का सपना महात्मा गांधी ने चंपारण में देखा था.'


क्या है जन सुराज?
आनंद कहते हैं कि एक सुखद राज्य का सपना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. अच्छा शासन उसकी कल्पना है और यही जन सुराज है. उन्होंने कहा कि बिहार में रोजगार के काफी आसार हैं फिर भी सरकारें अपनी स्वयं की पीठ थपथपाकर अपनी शाबासी स्वयं लेती हैं. सरकारों के रोना रोने से अच्छा है कि आप इस समस्या की जड़ तक जाएं. 


बिहार में उद्योग की कमी?
उन्होंने कहा कि झारखंड 2002 में बिहार से अलग हो गया था, उसके बाद से झारखंड की स्थिति बिहार से काफी बेहतर है. झारखंड के विकास में वहां की औद्योगिक घरानों के साथ ही राज्य के कुशल नेतृत्व भी बधाई का पात्र हैं. लेकिन बिहार में हमने उद्योग को पनपने ही नहीं दिया. 


'भुखमरी से बिहार में हो रही मौतें'
बिहार में आज कई कल कारखाने, चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं या बंद होने के कगार पर हैं. बिहार में आज भी आर्थिक तंगी व भूखमरी से लोग परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण समस्तीपुर की घटना है जहां भुखमरी से उबकर एक ही परिवार के 5 लोगों ने आत्महत्या कर ली. 


जन सुराज अभियान का क्या है मकसद?
उन्होंने कहा कि हम जनसुराज के माध्यम से जनसुराज यानी जनता का राज लाना चाह रहे हैं ताकि हर नागरिक को उनके अधिकार मिल सकें. जनसुराज की पहली प्राथमिकता बिहार में पलायन कर चुके लोगों को अपने गृह राज्य में बुलाकर उनके रोजगार की समुचित व्यवस्था करना व पलायन रोकना है. उन्हें वापस बिहार में लाकर 15 से 20 हजार तक के रोजगार की समुचित व्यवस्था करना हमारा पहला उद्देश्य है. 


अक्षय आनंद ने आगे कहा किइस पद यात्रा का मूल उद्देश्य लोगों की जन समस्याओं को समझना एवं उन्हें जागृत करना है.