Chanakya Niti: नीति शास्त्र के सबसे प्रासंगिक सिद्धांतों में आचार्य चाणक्य के सिद्धांतों का जिक्र आता है. आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत हों अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति या राजनीति शास्त्र के सिद्धांत हों इन पर अमल आज भी होता है. चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांतों पर चलकर लोग अपने जीवन को सफल और सुखद बना सकते हैं.  


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चाणक्य के व्यवहारिक ज्ञान को सीखकर पढ़कर और इसे जीवन में उतारकर आप एक बेतर मनुष्य बन सकते हैं. उनके व्यवहारिक ज्ञान बेहतरीन हैं. ऐसे में आप चाणक्य के इन नीति शास्त्र के ज्ञान को पाकर अपने जीवन में उतारकर ढेरों परेशानियों से बच सकते हैं. साथ ही आप सुखी और बेहतरीन जीवन जी सकते हैं. ऐसे में लोगों के पास धन कब नहीं ठहरता लोग किन गलतियों की वजह से कंगाली के शिकार हो जाते हैं इसके बारे में चाणक्य ने बताया है. ऐसे में चाणक्य नीति के उन सिद्धांतों पर ध्यान दें तो आपको पता चल जाएगा कि कैसे धनवान लोग भी अपनी गलतियों की वजह से कंगाल होते हैं और उन्हें इससे बचने के लिए किन बातों पर ध्यान रखने की जरूरत है. 
 
ऐसे में चाणक्य ने मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने और उनको अपने साथ रखने के कुछ तरीके बताए हैं. इसके साथ ही नीति शास्त्र में यह भी बताया गया है कि किन कामों को करने से मां लक्ष्मी आपसे नाराज हो जाती हैं और आप अमीरी से एकदम गरीबी की तरफ पहुंच जाते हैं. वैसे भी कहा गया है धन की तीन गतियां होती हैं दान, भोग और नाश. ऐसे में जो व्यक्ति धन का उपयोग सतकर्मों में नहीं करता उसका उपयोग अपने संसाधनों को बेहतर बनाने और लोगों की सेवा में नहीं करता उसको तीसरी गति से गुजरना पड़ता है. मतलब उसके धन का नाश होता है. 


चाणक्य के इस श्लोक को ध्यान से पढ़िए तो आपको शायद इस बात का पता चल जाए. 
अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति .
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति ..


चाणक्य की मानें तो इस श्लेक के जरिए उन्होंने बताया है कि जो लोग चोरी, जुआ खेलना, अन्याय करना और धोखा देना जैसे कुकृत्य को करके धन कमाते हैं. उनके पास लक्ष्मी आती तो तेजी से है उनके पास अपार धन भी आ जाता है लेकिन धन नष्ट होने में समय नहीं लगता. ऐसे में चाणक्य कहते हैं कि किसी को धोखा देकर और दुःख पहुंचाकर कमाया गया धन आपके पास ज्यादा देर तक नहीं टिकता और और कंगाल हो जाते हैं. ऐसे में इस तरह के कर्मों के जरिए अमीर होने की कोशिश तो बिल्कुल ना करें. 


चाणक्य ने अपने इस श्लोक में बुरे कर्म को लकेर बताया है. 
आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् .
दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च ..


चाणक्य की मानें को बुरा कर्म करने वाले लोग इसका बुरा फल भी पाते हैं. ऐसे में अगर आपको मां लक्ष्मी का कृपा पात्र बना रहना है तो आपको अच्छे कर्म करना चाहिए, धन का सदुपयोग करना चाहिए और साथ ही आपको झूठ बोलने और दूसरों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए. 


वहीं चाणक्य ने धनवान लोगों को कुछ खास बातों पर ध्यान रखने को कहा है. 
धनहीनो न च हीनश्च धनिक स सुनिश्चयः .
विद्या रत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु ..


आचार्य चाणक्य की मानें तो अमीरी और गरीबी एक अवस्था है ऐसे में धनवान होने के साथ दूसरों को गरीब समझने की भूल ना करें. वहीं किसी विद्वान व्‍यक्ति को तो कभी गरीब समझने की भूल करनी ही नहीं चाहिए ना ही उसका अपमान करने करना चाहिए. चाणक्य की मानें तो धन से ज्यादा विद्या लोगों को धनवान बनाती है. यह संपत्ति हमेशा किसी भी आदमी के पास रहती है. ऐसे व्यक्ति का हमेसा समाज में सम्मान होता है. उसके पास धन की कभी कमी नहीं होती है.  ऐसे में विद्या को प्राप्त करने पर ध्यान दें. 


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