छपरा: खेती को घाटे का सौदा समझने वाले युवाओं के लिए अच्छी खबर है. महज कुछ कट्ठे जमीन में मशरूम की खेती कर आप न सिर्फ आत्मनिर्भर बन सकते है, बल्कि आप अन्य लोगों को रोजगार दे सकते हैं. छपरा के एक किसान ने अपने मेहनत और लगन से इतिहास रच दिया. दरअसल, बिना सरकारी सहायता के प्रतिदिन 8 से 9 किवंतल मशरूम का उत्पादन कर रहा है. प्रतिवर्ष करोड़ों का उत्पादन कर रहा है. छपरा का मशरूम बिहार और यूपी के अलावा नेपाल और भूटान तक जाता है. मशरूम की खेती से आत्मनिर्भर बना किसान अब 50 लोगों को रोजगार दे रहा है.


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गड़खा प्रखंड के फुलवरिया के किसान ने अपने संघर्ष और मेहनत के बदौलत कृषि क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. कभी बेरोजगारी की मार झेलने वाले किसान आज 50 से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया करा है. हम बात कर रहे हैं फुलवरिया के किसान अजय राय की जिन्होंने पूसा कृषि केंद्र के वैज्ञानिकों की सलाह पर मशरूम उत्पादन का कार्य छोटे पैमाने पर शुरुआत की. तकरीबन 4 वर्षो में यह मशरूम उत्पादन का हब बन चुका है.
अब प्रतिदिन यहां तकरीबन आठ क्विंटल मशरूम का उत्पादन करते है, शुरुआत में तो आसपास क्षेत्रों में ही इसका व्यवापार था, लेकिन धीरे धीरे प्रदेश के अन्य जिलों सहित दूसरे राज्यों से लेकर विदेशों तक इनके मशरूम की सप्लाई शुरू हुई. अब लोग इन्हें मशरूम मैन के नाम से जानते है, जैसे जैसे बाजारों से मशरूम की मांग बढ़ती गई. वैसे-वैसे उत्पादन क्षमता भी बढ़ती गई और तकरीबन 2 एकड़ से अधिक क्षेत्रों में आधुनिक व्यवस्थाओं से मशरूम का उत्पादन करते है.


साथ ही तकरीबन 50 लोगों को उत्पादन से लेकर पैकिंग तक के कार्यों में लगाए है. इस इस उत्पादन से सालाना 5 करोड़ का व्यवसाय करते है. मशरूम मैन अजय राय की मानें तो कई किसान उनसे प्रेरित होकर अब मशरूम की उत्पादन की तरफ आगे बढ़ रहे है. खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही दूसरो को भी रोजगार दे रहे हैं. इनके मशरूम की चर्चा और उत्पादन के साथ ही रोजगार देने को लेकर तत्कालीन राज्यपाल फागू चौहान द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया गया है. 


इनपुट- राकेश कुमार 


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