Lok Sabha Election 2024: 4 पार्टियों में कैसे बंटेंगी 7 सीटें? नीतीश कुमार की एंट्री से एनडीए में हो गया गड्डमड्ड
Advertisement

Lok Sabha Election 2024: 4 पार्टियों में कैसे बंटेंगी 7 सीटें? नीतीश कुमार की एंट्री से एनडीए में हो गया गड्डमड्ड

Lok sabha election 2024: नीतीश कुमार इंडिया ब्लॉक में थे तो उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में उनका स्वागत करने को बेकरार थे, लेकिन जब से नीतीश कुमार ने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, तब से चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा दोनों उखड़े उखड़े से हैं.

Lok Sabha Election 2024: 4 पार्टियों में कैसे बंटेंगी 7 सीटें? नीतीश कुमार की एंट्री से एनडीए में हो गया गड्डमड्ड

Lok Sabha Election 2024: 28 जनवरी से पहले बिहार में महागठबंधन उलझन में था और एनडीए के लिए सीट शेयरिंग आसान लग रहा था. आज हालत यह हो गई है कि राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ऐलानिया कहा है कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग एनडीए से पहले हो जाएगी. अब एनडीए के लिए चुनौती यह है कि वह तेजस्वी यादव की बात को खारिज करे और खारिज तभी संभव है, जब एनडीए में सीट शेयरिंग पहले हो जाए और प्रत्याशियों का ऐलान हो जाए. हालांकि ऐसा नहीं है कि पहले सीट शेयरिंग से फायदा हो जाता है और देर से सीट शेयरिंग से बहुत नुकसान हो जाता है, लेकिन इसके दो पहलू हैं. एक तो प्रत्याशी को अपने क्षेत्र में अधिक समय देने का मौका मिल जाता है और दूसरा, मनौवैज्ञानिक तौर पर पहले सीट शेयरिंग और प्रत्याशी उतारने वाले दल को बढ़त हासिल हो जाती है. एक नुकसान का भी डर रहता है. नुकसान इस बात का कि अगर पहले प्रत्याशी का ऐलान हो जाता है तो दल में बगावत होती है और बागियों को दूसरे दलों में जाकर टिकट लेने का मौका मिल जाता है. 

खैर, अब मुद्दों पर आते हैं. पीएम मोदी की औरंगाबाद और बेगुसराय की रैली में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा नदारद थे. वे क्यों नहीं आए या उन्हें क्यों नहीं बुलाया गया, यह सवाल अभी भी अनसुलझा हुआ है. जब नीतीश कुमार इंडिया ब्लॉक में थे तो उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में उनका स्वागत करने को बेकरार थे, लेकिन जब से नीतीश कुमार ने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, तब से चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा दोनों उखड़े उखड़े से हैं. हालांकि दोनों दलों की ओर से कहा जा रहा है कि वे एनडीए में हैं और बने रहेंगे और एनडीए बिहार की 40 में से 40 सीटों पर जीत हासिल करने जा रहा है पर अंदरखाने क्या चल रहा है. क्या कोई खींचतान चल रही है. 

दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के एनडीए में आने से पहले भाजपा के बिहार में 40 में से 30, उपेंद्र कुशवाहा के 3, जीतनराम मांझी के 1 और बाकी 7 सीटें लोजपा के दोनों धड़ों में बांटने की योजना बनी थी. अब जबकि नीतीश कुमार एनडीए में आ गए हैं तो इन सभी दलों का गणित गड़बड़ा गया है. उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कहा जा रहा है कि उन्हें 1 सीट ही दिया जा सकता है तो चिराग पासवान हाजीपुर सहित 5 सीटों की डिमांड कर रहे हैं. चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस भी 5 सीटों की उम्मीदें संजोए बैठे हैं. जीतनराम मांझी के सामने वेल एंड गुड सिचुएशन है. वे गया लोकसभा सीट चाहते हैं और माना जा रहा है कि गया सीट उन्हें दी जा सकती है. उनके बेटे को पहले ही बिहार की नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है. 

भाजपा ने 2019 के चुनाव में बिहार की सभी 17 सीटें जीती थीं, जहां वो चुनावी मैदान में थी. जेडीयू की बात करें तो वह 17 में से केवल 1 सीट हारी थी और बाकी 16 पर चुनाव जीतने में कामयाब रही थी. लोजपा की बात करें तो उसने भी 100 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ सभी 6 सीटें जीत ली थी. इस तरह एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 से तुलना करें तो 2024 के हालात कुछ और हैं. 2019 में उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी महागठबंधन का हिस्सा थे, पर 2024 में एनडीए में बिहार के 6 दल शामिल हैं: भाजपा, जेडीयू, रालोमो, लोजपा आर, लोजपा और हम. इनमें से भाजपा और जेडीयू अपनी सीटें शायद ही छोड़ें. ऐसे में बाकी बची 7 सीटों को रालोमो, लोजपा आर, लोजपा और हम में कैसे बांटा जाएगा, यही यक्ष प्रश्न बना हुआ है. 

चिराग पासवान के बारे में खबरें आ रही हैं कि वे एनडीए से नाराज हैं. उनकी नाराजगी का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे अपने पिताजी स्व. रामविलास पासवान की सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस हाजीपुर सीट छोड़ना नहीं चाह रहे हैं. चिराग पासवान चाहते हैं कि बड़ा भाई होने के नाते भाजपा पशुपति कुमार पारस को कहीं और से चुनाव लड़ने को बाध्य करे पर भाजपा ने अभी इस मसले पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. 2019 में लोजपा ने 6 सीटें जीती थीं और 2024 में लोजपा के दोनों धड़े 5—5 सीटें चाहते हैं. ऐसे में दोनों धड़ों के मन की बात पूरी करना एनडीए के लिए संभव नहीं है. दूसरी ओर, उपेंद्र कुशवाहा के लिए कहा जा रहा है कि 2014 में उनकी पार्टी सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद से चुनाव लड़ी थी और तीनों सीट जीत भी गई थी. इस बार भी वे ये सभी तीन सीटें चाहते हैं पर इन सीटों पर आज की तारीख में जेडीयू का कब्जा है. 

पहले बिहार की नीतीश सरकार का कैबिनेट विस्तार न होना और अब लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे में खींचतान से मुख्य विपक्षी दल राजद को एक मसला मिल गया है. राजद प्रवक्ताओं को आजकल टीवी पर लगातार यह कहते सुना जा सकता है कि एनडीए में कोई काम नहीं हो रहा है और नीतीश कुमार अभी तक अपनी कैबिनेट का विस्तार तक नहीं कर पाए हैं. राजद का यह भी कहना है कि एनडीए में जो पुराने दल हैं, उनका काम खत्म हो गया है, क्योंकि मुख्य प्लेयर की वापसी हो गई है. इसलिए पुराने साथियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. लेकिन जेडीयू और भाजपा प्रवक्ता लगातार यह कह रहे हैं कि सभी साथी एनडीए में ही रहेंगे. अभी सीटों के बंटवारे पर बात चल रही है और जल्द ही सब क्लीयर हो जाएगा.

ये भी पढ़िए-  'मोदी का परिवार' के बाद 'अब हमारे परिवार के सबसे प्यारे सदस्य', संजय जायसवाल ने जारी किया वीडियो

 

Trending news