Chhath Puja 2022: लोक आस्था के महापर्व पर किन्नरों की कहानी, ऐसे छठ मईया की भक्ति में हैं डूबे
Chhath Puja 2022: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. नहाय खाय के बाद 36 घंटे तक चलने वाले इस निर्जला व्रत का कल से ही शुरुआत हो चुका है. बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोग दुनिया के जिस भी कोने में रहते हैं यह लोक आस्था का पर्व वहां बड़ी धूमदाम से मनाया जाता है.
पटना : Chhath Puja 2022: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. नहाय खाय के बाद 36 घंटे तक चलने वाले इस निर्जला व्रत का कल से ही शुरुआत हो चुका है. बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोग दुनिया के जिस भी कोने में रहते हैं यह लोक आस्था का पर्व वहां बड़ी धूमदाम से मनाया जाता है. ऐसे में आपको बता दें कि यह लोकआस्था का पर्व ऐसा जहां ना तो जात-पात का भेद है ना ही ऊंच-नीच का भाव, सामाजिक समरसता के इस महापर्व में आस्था की डूबकी लगाते सब दिए जाएंगे.
किन्नर भी करते हैं छठी मईया का व्रत
पवित्र नदियों, तालाबों का जल सभी को पवित्र करता है. समाज से भेद-भाव का रंग मिटानेवाले इस लोकआस्था के पर्व में क्या गरीब-क्या अमीर सभी छठ घाट पर एक दूसरे के साथ खड़े होकर पहले तो अस्ताचलगामी सूर्य को फिर अगले दिन उदितमान सूर्य को अर्घ्य देकर उनका अभिवादन करते हैं. प्रकृति के इस पर्व को हर समाज के लोग पूरी आस्था के साथ मनाते हैं. बिहार के कई जिलों में किन्नर समाज के लोग भी इस छठ को पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाते हैं. समाज का यह वर्ग जबकि सबसे अलग-थलग पड़ा है लेकिन लोक आस्था के इस पर्व में भगवान आदित्य और छठी मईया के भक्ति में डूबे इनलोगों को देखकर स्वतः ही आपका मन भक्ति के भाव से भर जाएगा.
लोक आस्था के इस महापर्व में इन किन्नरों की भी है अहम भूमिका
बिहार का गोपालगंज जिला जहां के किन्नर समुदाय के लोग हर साल इस लोकआस्था के पर्व को खूब आस्था से सेलिब्रेट करते हैं. यह समुदाय अन्य लोगों के साथ ही इस आस्था के महापर्व में शामिल होते हैं. गोपालगंज में लोक आस्था के इस महापर्व में ये किन्नर लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. इनकी आस्था आम लोगों से कम नजर नहीं आती है. यह समाज भी छठी मईया के पर्व को खूब धूमधाम से मनाते हैं और साथ हीं आपको बता दें कि इस दौरान इनके गीतों और पूजा पद्धति से पूरा इलाका भक्ति के रंग में डूब जाएगा.
पूरे विधि-विधान के साथ इस पूजा को करते हैं किन्नर
गोपालगंज के किन्नर समाज के लोग भी पूरे विधि-विधान के साथ इस पूजा को करते हैं. ये किन्नर ऐसे हैं जो 25 साल से तो कई 40 साल से इस पर्व को पूरी आस्था के साथ कर रहे हैं. इन किन्नरों के द्वारा अपने लिए छठी मईया से कुछ नहीं मांगा जाता बल्कि समाज में सुख-शांति की मंगलकामना की जाती है.
समाज में खुशहाली और समृद्धि की कामना के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं किन्नर
ये किन्नर छठी मईया और भगवान आदित्य से समाज में खुशहाली और समृद्धि की कामना के साथ अपने लोगों के अगले जन्म में सफल जीवन की कामना करते हैं. इनमें से कोई 20 वर्ष से, कोई 10 वर्ष से और कोई 5 वर्ष से भगवान आदित्य के इस पर्व पर पूरी आस्था के साथ पूजन कर रहे हैं.
किन्नरों की मानें तो छठी मईया उनकी हर मन्नत पूरी करती आई हैं. ऐसे में आस्था और विश्वास के साथ हर वर्ष ये लोग इस पूजा को करते हैं. पूजा समाप्त होने के बाद ये भी अन्य लोगों की तरह प्रसाद का वितरण करते हैं. इस समुदाय के पूजा को देखने के लिए स्थानीय लोग भी पहुंचते हैं. इसके साथ ही पूजा में इन्हें आसपास के लोगों का भी भरपूर सहयोग मिलता है.
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