Chhath Puja 2024: इस साल छठ महापर्व का शुभारंभ 5 नवंबर को नहाय-खाय से होगा और इसका समापन 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा. चार दिवसीय इस पर्व में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है और छठी माई का आशीर्वाद मांगा जाता है. इस पर्व में लोकगीतों जैसे उग हे सूरजदेव अरग के बेरिया… की गूंज से माहौल भक्तिमय हो जाता है. इस पर्व में पहले दिन व्रती नहाय-खाय करते हैं, जिसमें पवित्रता और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है. अगले दिन 6 नवंबर को खरना मनाया जाएगा, जिसमें व्रती निर्जला व्रत रखकर शाम को प्रसाद ग्रहण करते हैं.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार 7 नवंबर को व्रती संध्या अर्घ्य के लिए विशेष रूप से छठ घाट पर सज-धज कर जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. यह अर्घ्य देने का समय शाम 5:25 बजे निर्धारित है. मान्यता है कि इस अर्घ्य से मानसिक शांति, प्रगति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. अंत में 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह पर्व संपन्न होता है. उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6:48 बजे है. व्रती इस दौरान भगवान सूर्य और छठी माई से परिवार के लिए सुख, शांति और आरोग्यता की कामना करते हैं.


छठ पूजा में आत्मनिर्भरता और सादगी का विशेष महत्व है. यह पर्व बिना किसी पुरोहित के किया जाता है और सभी अनुष्ठान लोक परंपराओं से जुड़े होते हैं. छठ में न केवल उगते सूर्य बल्कि डूबते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है, जो जीवन के सुख-दुख में संतुलन और संतोष का प्रतीक है. यह पर्व जीवन को हर परिस्थिति के अनुकूल बनाने का संदेश देता है और अपनी ऊष्मा व ऊर्जा से संपूर्ण सृष्टि को पोषित करने वाले सूर्य देव की महिमा का उत्सव है.


साथ ही छठ पर्व के दौरान बाजारों में रौनक बढ़ जाती है. लोग पूजा सामग्री जैसे सूप, दउरा और फलों की खरीदारी के लिए भीड़ में जुटने लगते हैं. इस साल फलों के दाम बढ़े हुए हैं. सेब 120 रुपये किलो, अनार 140 रुपये, नारंगी 160 रुपये और केले 20 से 40 रुपये दर्जन बिक रहे हैं. बाजार में पूजा सामग्री और पारंपरिक परिधानों की भी खूब मांग है, जिससे माहौल में धार्मिकता और उमंग की भावना बनी हुई है.


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