पटना: Daily Panchang 4 October: आज का पंचांग आपके लिये शुभ तिथि और मुहूर्त लेकर आया है. आज मंगलवार है, मंगलवार को बजरंग बली यानी हनुमान जी का दिन माना जाता है. आज के दिन भक्त मंगलवार का व्रत रखते हैं और बजरंग बली की पूजा अर्चना करते हैं. मंगलवार का व्रत भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है.  जानिए पंचांग में क्या है खास, बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य.


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आज का पंचांग
अश्विन - शुक्ल पक्ष - नवमी तिथि 02.21 बजे तक 
इसके उपरांत दशमी तिथि - मंगलवार 
नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र 
महत्वपूर्ण योग- अतिगण्ड योग
चन्द्रमा का मकर राशि पर संचरण  
आज का शुभ मुहूर्त - 11.52 बजे से 12.39 बजे तक 
राहुकाल- 03.11 बजे से 04.39 बजे तक


आज का शुभ मुहूर्त
आज दोपहर 11:52 से लेकर दोपहर 12: 39 तक का समय शुभ मुहूर्त रहेगा. अगर आप कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं तो यह समय आपके लिए सबसे उपयुक्त है.


आज का राहुकाल
आज सुबह 03:11 से लेकर 04:39 बजे तक राहुकाल रहेगा. इस काल में किसी भी जातक को कोई नया काम शुरू नहीं करना चाहिए. इस काल में अगर आप कोई नया काम शुरू करते हैं, तो आपको भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.


नवरात्रि की नवमी तिथि का खास महत्व
हिंदू शास्त्र में नवरात्रि की नवमी तिथि का खास महत्व होता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि सिद्धिदात्री की पूजा करने से माता हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती है. नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि मां सिद्धिदात्री, अर्थात सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं. शास्त्रों के अनुसार महादेव ने भी माता सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर इनसे सभी आठ सिद्धियां प्राप्त की थी. इन्हीं देवी की कृपा से ही महादेव की आधी देह देवी की हो गई थी और वे अर्धनारीश्वर कहलाए थे. नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा के बाद ही नवरात्र का समापन माना जाता है. 


मां सिद्धिदात्री पूजा विधि 
नवरात्रि की समाप्ति के साथ नवमी का दिन बेहद खास होता है. इस दिन रोजाना की तरह सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें. सर्वप्रथम गणेश पूजन और कलश पूजन कर मां सिद्धिदात्री की पूजा प्रारंभ करें. माता को पंचामृत से स्नान करवाएं. फिर माता को नौ प्रकार के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी आदि अर्पित करें. इसके बाद मां सिद्धिदात्री की कथा का पाठ करें. अंत में आरती करें. 


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