Diwali 2022: जानिए कब है दीपावली है, अभी से करनी शुरू कर दें तैयारी
Diwali 2022: 23 अक्टूबर 2022 को रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी.
Diwali 2022: जब श्रीराम लंका में रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे, तो उनकी प्रजा ने दीप जलाकर श्रीराम का स्वागत किया था. सनातन परंपरा और हिंदू धर्म में दीपावली सबसे बड़ा त्योहार और उत्सव है. एक तरफ यह अंधकार पर विजय पाने और प्रकाश का पर्व है तो वहीं, दूसरी ओर यह जीवन में नयेपन और उल्लास का पर्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जा
इस बार अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर और 25 अक्टूबर को है. लेकिन, 25 तारीख को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जा रही है और 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि मौजूद रहेगी. उसी दिन निशीथ काल में भी अमावस्या तिथि रहेगी. इसलिए 24 अक्टूबर को ही पूरे देश में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा.
ये है दीपावली का शुभ समय
23 अक्टूबर 2022 को रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी और अमावस्या तिथि आरंभ होगी. अमावस्या तिथि 25 तारीख को शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री राम ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी और इस दिन वह 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे. भगवान राम के वापस आने के खुशी में प्रकाश का पर्व दीपावली मनाया गया.
दीपावली में होती है निशीथ काल में पूजा
दीपावली में देवी मां लक्ष्मी के साथ देवी काली की भी पूजा का विधान है. यह पूजा आधीरात को महानिशीथ काल में होती है. इस दौरान शांत वातावरण में नाम जाप पूजा की जाती है. इसमें साधक लोग देवी काली के मंत्रों का जाप करते हैं. इस पूजा में वातावरण आध्यात्मिक, पूजा की जगह प्रकाशमान और सुगंधित होनी चाहिए. पूजा में दिव्य सुगंधों का बहुत महत्व है. इसलिए पूजा में तीर्थवेद अगरबत्ती का प्रयोग करें. ये बिल्कुल प्राकृतिक तत्वों से बनी हुई है. इसमें सुगंधित फूलों के रसों और उनकी भस्मों का इस्तेमाल किया जाता है. तीर्थवेद अगरबत्ती आपके सात्विक माहौल का बनाए रखती है.
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