Dussehra Shastra Pujan Vidhi: दोपहर में शस्त्र पूजन का मुहूर्त, इस विधि से करें हथियारों की पूजा
Dussehra Shastra Pujan: विजयादशमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक स्थान पर सभी अस्त्र-शस्त्र किसी कपड़े के ऊपर व्यवस्थित तरीके से जमा दें. सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र करें
पटनाः Dussehra Shastra Pujan:दशहरे यानी विजयादशमी के मौके पर प्राचीन काल से शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है. इसका इतिहास और इसकी मान्यता देवी दुर्गा के आविर्भाव से जुड़ी हुई है. असल में माता ने जब महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया तो उन्होंने महिषासुर के वध के लिए सभी अस्त्रों और शस्त्रों का प्रयोग किया था. इन शस्त्रों में भी देवी शक्ति का वास माना जाता है. इसलिए शस्त्रों का पूजन नवरात्र के दिन किया जाता है. जो आपका जीवन बचाए, वह पूज्यनीय होता ही है. इसीलिए शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है.
ये हैं शस्त्र पूजा के शुभ मुहूर्त (Shastra Puja 2022 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार दोपहर 2.20 से 5 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 12 बजे तक रहेगी. श्रवण नक्षत्र दशहरे पर पूरे दिन रहेगा. इस दिन के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
सुबह 9.30 से दोपहर 12 बजे तक
दोपहर 2 से 2.50 तक
दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक
दशहरे पर इस विधि से करें शस्त्र पूजा (Shastra Puja Vidhi)
विजयादशमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक स्थान पर सभी अस्त्र-शस्त्र किसी कपड़े के ऊपर व्यवस्थित तरीके से जमा दें. सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र करें. सभी अस्त्र-शस्त्रों पर मौली (पूजा का धागा) बांधे. इसके बाद महाकाली स्तोत्र का पाठ कर शस्त्रों पर कुंकुम, हल्दी का तिलक लगाकर हार पुष्पों से श्रृंगार कर धूप-दीप कर मीठा भोग लगाएं. पूजा करते समय इस मंत्र का का जाप करें-
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये. स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
अंत में शस्त्र प्रदर्शन करें. इस प्रकार दशहरे पर शस्त्र पूजा करने से शोक और भय का नाश होता है. साथ ही देवी विजया प्रसन्न होती हैं.
क्यों की जाती है शस्त्र पूजा?
मान्यताओं के अनुसार, जब महिषासुर दैत्य का आतंक बहुत बढ़ गया तो देवताओं ने देवी दुर्गा का आवाहन किया. देवी प्रकट हुई और देवताओं ने उन्हें अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए. इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया. ये तिथि आश्विन शुक्ल दशमी थी. इस युद्ध में शस्त्रों ने काफी अहम भूमिका निभाई थी, जिनके बल पर देवी ने अधर्म पर विजय प्राप्त की. अस्त्रों के महत्व को समझते हुए ही विजयादशमी पर शस्त्र पूजा की परंपरा बनाई गई.