पटनाः Ear Piercing: हमारे देश में नाक-कान छिदवाने की परंपरा वर्षों पुरानी है. नाक-कान छिदवाने की परंपरा केवल लड़कियों के लिए ही नहीं बल्कि कहीं-कहीं लड़कों के लिए भी है. कहा जाता है कि कम उम्र में बच्चों के नाक-कान छिदवाने की वजह किसी के लिए परंपरा है तो किसी के लिए बीमारियों से बचाव भी है. आज कल नाक कान छिदवाना एक फैशन बन गया है. इन दिनों नाक कान छिदवाना एक ट्रेंड सा बन गया है कि लोग शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पियर्सिंग करवा रहे है. कान पियर्सिंग को करवाने में दर्द भी झेलना पड़ता है. ऐसे में हम आपको कुछ बातों का सावधानियों के बारे में बता रहे है. जिन्हें कान या नाक छिदवाते समय बरतनी चाहिए. तो चलिए जानते है नाक कान छिदवाते समय किन सावधानियों को बरतना चाहिए 'ज्वेलरी का अनदेखा सत्य की किताब' के जरिए जो 'महेश अरोड़ा, अरोड़ा सन्स' द्वारा लिखी गई है.     


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नाक छिदवाते समय इन सावधानियों का रखें ध्यान 
- पियर्सिंग हमेशा सोने और चांदी से ही करवाने चाहिए. बनावटी धातु से इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा रहता है. 


- एक बार पियर्सिंग करने के बाद उन्हें खाली ना छोड़े वरना छेद बंद भी हो सकता है. अगर कोई नोज पिन रिंग ना हो तो मोर पंख भी डाला जा सकता है. इससे छेद बंद नहीं होता और आपको दोबारा पियर्सिंग का दर्द भी नहीं सहना पड़ता है. 


- पियर्सिंग करने के पश्चात किसी भी तरह के एंटीसेप्टिक उत्पाद का प्रयोग ना करें. 


- पियर्सिंग के बाद में किसी भी तरह से नाक पर हुए छिद्र को छुपाने का प्रयास न करें और ना ही मेकअप से संबंधी उत्पादों का इस्तेमाल करें. 


- टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल करें. इसमें प्राकृतिक रूप से एंटीफंगल एंटीसेप्टिक और एंटी माइक्रो गुण होते हैं. इससे नाक के घाव में संक्रमण और सूजन कम हो जाती है. आप चाहते हैं तो नमक के पानी में टी ट्री ऑयल मिलाकर भी लगा सकती हैं. 


- नाक छिदवाने के पश्चात प्रभावित त्वचा पर एंटीसेप्टिक उत्पादों का प्रयोग ना करें. 


- नाक को गंदे हाथों से ना छुए और ना ही गंदी तौलिए का इस्तेमाल करें. अगर आपकी त्वचा रूखी रहती है तो नोज पिन को निकालना या हिलाना नहीं चाहिए. इससे मांस फट सकता है और जख्म हो सकता है. 


- नाक या कान छिदवाने के पश्चात संक्रमण का जोखिम कम करने के लिए बहुत सारा पानी पिए ताकि आप हाइड्रेटेड रहें. 


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