Healthy Food Habit: भोजन करने से पहले रोज करें ये काम तो कभी नहीं पड़ेंगे बीमार
Healthy Food Habit: भोजन, हमारे जीवन का सबसे अभिन्न अंग है. यह जीवन ही भोजन के आधार पर चल रहा है. भोजन ही भोग का प्रमुख आधार है. प्राणियों में प्राण और चेतना इसी भोजन के कारण है. आज की हमारी जीवन शैली में भोजन को लेकर भी एक जल्दबाजी आ गई है. हम शांत चित्त होकर भोजन नहीं ग्रहण कर रहे हैं,
पटनाः Healthy Food Habit: भोजन, हमारे जीवन का सबसे अभिन्न अंग है. यह जीवन ही भोजन के आधार पर चल रहा है. भोजन ही भोग का प्रमुख आधार है. प्राणियों में प्राण और चेतना इसी भोजन के कारण है. आज की हमारी जीवन शैली में भोजन को लेकर भी एक जल्दबाजी आ गई है. हम शांत चित्त होकर भोजन नहीं ग्रहण कर रहे हैं, बल्कि इस आधार पर भोजन करने लगे हैं कि जो मिले, जल्दी मिले जल्दी खालो. इसके कारण यह भोजन ही हमारे जीवन में बीमारियों का कारण बन रहा है. शास्त्रों में भोजन को लेकर कई सावधानियां बताई गई हैं, वह सारी ही अपनाने के योग्य हैं, फिर भी अगर सिर्फ एक नियम का ही पालन किया जाए तो वह भी बहुत लाभकारी सिद्ध होगा.
ऐसे करें भोजन
भोजन कैसे करना चाहिए और इससे पहले व बाद में क्या करना चाहिए, इसका विस्तार से वर्णन है. महाराज मनु ने मनुस्मृति में लिखा है,
"अन्नं ब्रह्मा रसो विष्णुः पक्ता देवो महेश्वरः.
एवं ज्ञात्वा तु यो भुड़्क्ते अन्नदोषो न लिप्यते
इसका अर्थ है. अन्न ही ब्रह्मा है, और अन्न से जो रस बनता है, वही विष्णु है. पके हुआ अन्न महेश्वर का स्वरूप है. इस प्रकार से जान करके जो व्यक्ति भोजन करता है, उसे अन्न का कोई दोष नहीं लगता.
इस श्लोक का करें पाठ
अब इस श्लोक को जान लेने के बाद आपको करना ये है कि जब भी आपके सामने भोजन की थाली लगी हुई-परोसी हुई आ जाए तो सबसे पहले, जल हाथ में लें. अंजुली भर जल से थाली को चारों ओर घेर लें और फिर इसी मंत्र का उच्चारण करें. इसके बाद थाली को स्पर्श करके माथे से लगाएं और फिर भोजन करना आरंभ करें और गोविंद-गोविंद कहते हुए इसे आराम से खाएं. ऋषियों के बताए इस नियम के विषय में कहा गया है कि जो भी कोई व्यक्ति ऐसा करते हुए भोजन करता है, उसे कभी कोई बीमारी नहीं होती है.
इन नियमों का भी करें पालन
ध्यान रखें कि भोजन करते समय उकडूं नहीं बैठना चाहिए. इसके साथ ही लंबे पैर करके भी नहीं बैठना चाहिए. दक्षिणामुख बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए. भोजन के पूर्व भगवान का भोग लगाकर उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करना चाहिए. भोजन खाते समय चप-चप नहीं करना चाहिए. मध्याह्न का भोजन 11 से 1.00 बजे के बीच होता है. इन नियमों का पालन करेंगे तो भोजन हमेशा लाभकारी होगा और शरीर में बल-पोषण बढ़ाएगा.
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