Chandra Mangal Yog: किसी भी जातक की कुंडली में चंद्रमा उसके मन का कारक तो वहीं कुंडली में मंगल उसकी शुभता का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में जातक की कुंडली में चंद्र का अच्छा होना उसके स्वभाव, विचार, उसकी सोच, उसके पारिवारिक संबंधों को दर्शाता है. वहीं कुंडली में मंगल उसके जीवन में होने वाले शुभ कार्यों, उसके करियर, उसकी शादीशुदा जिंदगी इन सब के बारे में बताता है. आपको बता दें कि अगर किसी जातक की कुंडली में ये दोनों शुभ स्थिति में हो तो जातक के जीवन में सभी कुछ मिलता है. मंगल और चंद्र का योग लक्ष्मी योग का निर्माण करता है. 


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वहीं आपको बता दें कि कई बार मंगल और चंद्र का योग लोगों के लिए अशुभ फलदायी भी होता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि यह आपकी कुंडली में कैसे शुभ के अलावा अशुभ फलदायी भी होता है. 


हालांकि चंद्र मंगल का योग अगर किसी की कुंडली में बन रहा है तो यह इस तरफ इशारा करता है कि ऐसे जातक उदासीन व्यक्तित्व के होंगे इसके साथ सामाजिक रूप से उनकी स्वीकार्यता भी कम होगी. इसके साथ ही ऐसे जातकों के बारे में कहा जाता है कि वह अपने फायदे और पैसे कमाने के लिए गलत काम करने के साथ ही पैसे का निवेश भी गलत जगहों पर करने का विचार करते रहते हैं. 


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अब आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल चंद्रमा को स्त्री स्वभाव का माना जाता है. यह मन का कारक है. ऐसे में सूर्य से नजदीक होते ही चंद्रमा कमजोर हो जाता है. वहीं मंगल की बात करें तो यग क्रूर और पुरुष ग्रह कहा जाता है. ऐसे में चंद्रमा और मंगल का एक घर में विराजमान होना चंद्र मंगल योग कहलाता है. ऐसे में इसके अशुभ और शुभ दोनों फल होते हैं. मेष, कर्क, तुला, मकर, मीन राशि या लग्न के जातकों के लिए यह योग शुभ फल देनेवाला होता है. 


कुंडली के 5वें और 10वें घर में बन रहा यह योग लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी और शुभ फलदायी होता है. इसके साथ ही इन भावों में भी अगर ये दोनों ग्रह अशुभ स्थिति में हों तो फिर यह योग अशुभ फलदायी होता है.


आपको बता दें कि अगर दसवें भाव में दोनों ग्रह मिलकर अशुभ योग बना रहे हों तो ऐसे जातक अनैतिक कार्यों में लिप्त हो जाते हैं. वह अपने खून के रिश्तेदारों को भी धन कमाने के लिए धोखा दे सकते हैं. ये लोग समाज में इज्जत खो देते हैं. वहीं आपको बता दें कि कुंडली के चौथे, 7वें, 8वें और 10वें घर में अगर ये योग बन रहा हो तो ऐसे जातक मांगलिक भी होते हैं.