पटनाः Missed or Irregular Periods: आजकल लड़कियों और महिलाओं के बीच अनियमित पीरियड्स की समस्या काफी कॉमन हो गई है. स्ट्रेस से भरी लाइफ और खराब स्टाइल के कारण अधिकतर महिलाएं पीरियड से संबंधित समस्याओं (Irregular Periods) से ग्रसित हो जाती हैं. जिसके कारण वह अंदर ही अंदर तनाव से घिरा हुआ महसूस करने लगती हैं. 


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आमतौर पर महिलाओं का मासिक चक्र 28 से 32 दिनों का होता है, जो हर महीने करीब से करीब इतने ही दिन के अंतर पर चलता है. महीने के दिनों को पीरियड के पहले दिन से गिना जाता है. अगर ये मासिक चक्र बहुत लंबा या बहुत छोटा हो जाता है तो इसे अनियमित पीरियड्स या फिर इर्रेगुलर पीरियड्स कहा जाता है. आज के दौर में इर्रेगुलर पीरियड्स को लेकर हर महिला परेशान रहती है. 


आमतौर पर युवा लड़कियों को लगभग 9 से 13 साल की उम्र में पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं. इसे मिनार्चे कहा जाता है. महिलाओं में 40 से 55 साल तक की उम्र तक पीरियड्स का आना जारी रहता है. उसके बाद मासिक चक्र बंद हो जाता है, जिसे मेनोपॉज की स्थिति कहते हैं. बता दें कि शुरुआत में पीरियड 3 या 6 महीने के अंतराल पर भी आ सकते हैं, लेकिन 16 साल की उम्र तक पीरियड काफी हद तक नियमित हो जाते हैं.


पीरियड इर्रेगुलर होने के कारण 


- आम तौर पर इसके लिए आम कारण प्रेगनेंसी माना जाता है. लेकिन अगर आप प्रेग्नेंट नहीं है तो इसका कारण हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है. हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या ज्यादातर थायराइड के वजह से होती है. इसका दूसरा कारण PCOS यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी माना जाता है. ये होने से पीरियड डिस्टर्ब हो जाते है. ये लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए. 


- वहीं, पीरियड इर्रेगुलर होने या फिर पीरियड्स में देरी होने का कारण आप में पोषण की कमी भी हो सकती है. महिलाओं में देखा गया है कि साइकोलॉजिकल स्ट्रेस भी पीरियड्स साइकिल पर असर डालता है. ज्यादा स्ट्रेस लेने से पीरियड कभी जल्दी हो जाते हैं तो कभी लेट.


- कुछ लोगों को कम उम्र में मैनोपॉज़ हो जाता है जिसे अर्ली मैनोपॉज़ कहते हैं. इसके लिए डॉक्टर हार्मोनल टेस्ट करवाने की सलाह देते है. इसके वजह से आपको भयंकर गर्मी भी लगती है. पेशाब से जुड़ी समस्याएं होती है. नींद कम आ सकती है और मूड स्विंग्स होने की ज्यादा संभावना रहती है. 


कई परेशानियां शुरू हो जाती है 
अक्सर पीरियड्स इर्रेगुलर होने की वजह से महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे यूट्रस में दर्द होना, भूख कम लगना, स्तन में दर्द, पेट में दर्द, हाथ-पैर और कमर में दर्द, हद से ज्यादा थकान, जी मिचलाना, उल्टी आना, कब्ज आदि की समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं.


बता दें कि हो सकता है कि किसी महिला को ये सभी परेशानियां हो. किसी को एक बीमारी हो. यदि आपको इनमें से कोई भी परेशानी है तो आप उसे इग्नोर मत कीजिए. तुरंत अपने निजी डॉक्टर या फिर अच्छे डॉक्टर से सलाह लें और अपना इलाज करवाएं.    


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