Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य में हड़िया दारू निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा जा रहा है. फुलो झानो आशीर्वाद अभियान की लाभुक महिलाओं को भी इस पहल से लाभ होगा.
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Ranchi: महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत राज्य की आदिवासी महिलाओं के सशक्त आजीविका के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (SLPS) एवं डिजिटल ग्रीन (Digital Green) ने समझौता किया है. इन दोनों ही संस्थानों ने महिलाओं के उत्थान के लिए ATLAS (एडवासिंग ट्राईबल लाइवलीहुड एंड सेल्फ रिलायंस) परियोजना के क्रियान्वयन हेतु गैर वित्तीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है.
जेएसएलपीएस के राज्य कार्यालय में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नैन्सी सहाय एवं अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ डिजिटल ग्रीन के प्रमुख कृष्णन पल्लासानी ने एमओयू किया. इस अवसर पर जेएसएलपीएस की सीईओ नैन्सी सहाय ने कहा कि राज्य की करीब 20 हजार आदिवासी महिलाओं (Tribe Women) को इस पहल के जरिए उन्नत एवं तकनीक आधारित खेती से जोड़कर उनकी आमदनी में इजाफा किया जा सकेगा.
इसके साथ ही सहाय ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य में हड़िया दारू निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा जा रहा है. फुलो झानो आशीर्वाद अभियान की लाभुक महिलाओं को भी इस पहल से लाभ होगा. उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीक आधारित खेती, आईसीटी, डेटा एनालिसीस, किसान डायरी एप्प एवं उत्पादक कंपनी के प्रबंधन आदी कार्यों में भी डिजिटल ग्रीन महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत कार्य करेगी.
सहाय ने पलाश ब्राण्ड के मार्केटिंग एवं उत्पादों की बिक्री के लिए भी डिजिटल ग्रीन से कार्य करने की अपील की है. उन्होने डिजिटल ग्रीन को ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए धन्यवाद दिया एवं उम्मीद जताया कि इस पहल के जरिए आदिवासी महिलाएं आजीविका सशक्तिकरण की दिशा में मिसाल कायम करेंगी.
डिजिटल ग्रीन के प्रमुख कृष्णन ने कहा कि जेएसएलपीएस ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए लगातार काम कर रही है, हमारी टीम एवं जेएसएलपीएस के प्रयास से अरहर की खेती करने वाली महिलाओं का उपज तीन गुणा बढ़ाया जा सका है. एटलस परियोजना के तहत हमारा प्रयास राज्य की आदिवासी महिलाओं एवं उत्पादक कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाना है.
एटलस परियोजना का लक्ष्य राज्य की 20 हजार आदिवासी महिलाओं को तकनीक आधारित उन्नत खेती से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना है, जिसके अंतर्गत एफपीओ से जुड़ी महिलाओं को एडवाइजरी सेवाएं, वीडियो आधारित प्रशिक्षण, क्षमतावर्धन जैसे कार्य किए जाएंगे.
इस पहल के तहत अंतर्राष्ट्रीय संस्था डिजिटल ग्रीन महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत संचालित विभिन्न किसान उत्पादक कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करेगी. गैर वित्तीय समझौते के तहत किसान उत्पादक कंपनियों के क्षमतावर्धन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. डिजिटल ग्रीन समुदाय संचालित उत्पादक कंपनियों को सूचना संचार तकनीक के जरिए विभिन्न आयामों को विकसित करने का कार्य किया जाएगा.
साथ ही किसान उत्पादक कंपनियों के कार्यों, सदस्यों की भूमिका, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का रोल, कंपनी के संचालन सहित अन्य जरुरी विषयों पर सदस्यों को वीडियो एवं अन्य तकनीक के जरिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
इस साझा पहल से उत्पादक कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी ताकि समुदाय के स्वामित्व वाली किसान उत्पादक कंपनियां लाभ कमाने वाली कंपनी बन सके और सभी सदस्यों को अच्छी आमदनी हो. इसके अंतर्गत किसान डायरी मोबाइल एप्प की सुविधा भी उत्पादक कंपनी के किसानों को मिल सकेगी जिससे उनके मार्केटिंग, संग्रहण एवं अन्य कार्यों से जुड़े डेटा विभिन्न अनुश्रवण एवं डेटा एनालिसीस में उपयोग होगा ताकि उसके आधार पर उनकी गतिविधियों में और सुधार लाया जा सकेगा.
डिजिटल ग्रीन के साथ हुए इस समझौते के तहत महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत चुनिंदा किसान उत्पादक कंपनियों को एडवाइजरी सेवा, चैटबोट के जरिए तकनीकी मदद एवं विभिन्न कार्यों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. इस पहल से उत्पादक कंपनी के किसानों को आत्मनिर्भर एवं अच्छी आमदनी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.