पटनाः Kela Ped Puja: तुलसी, पीपल और बरगद के अलावा केले का पेड़ भी सनातन परंपरा में पूज्यनीय माना जाता है. यह पेड़ श्रीहरि विष्णु और भगवान शिव दोनों का ही प्रतीक है. इसमें तना और शाखाएं नहीं होती हैं और यह पेड़, कई तरह के लाभ देने वाला, मानसिक कष्ट मिटाने वाला और ऊर्जा देने वाला माना जाता है. घर में किसी भी पूजा में केले का पेड़ होना अनिवार्य है. गुरुवार के दिन इसकी पूजा भगवान सत्य नारायण के तौर पर की जाती है. यही बृहस्पति देव यानी कि भगवान विष्णु का भी स्वरूप माना जाता है.  


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नकारात्मक ऊर्जा हटाता
सनातन परंपरा में गुरुवार के दिन केले के पेड़ में पूजा करने की मान्यता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद भक्त केले की जड़ में फूल, चंदन और जल चढ़ाकर केले की पूजा करते हैं. हिंदू परंपरा में प्रकृति की हर एक चीज का अपना महत्व है. इन महत्वपूर्ण चीजों में पेड़-पौधे भी शामिल हैं. मान्यता है कि इनकी रक्षा करना मनुष्य का परम धर्म और कर्तव्य है. इनको घर में लगाकर रखने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है और वास्तु शास्त्र के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश घर में नहीं होता. केला घर में आने वाले दुखों को द्वार पर ही रोक देता है.


ऐसे करें केले की पूजा
भगवान विष्णु की पूजा में खास तौर से केले के पेड़ की पूजा भी की जाती है. इनकी पूजा करना शुभ माना जाता है. गुरुवार को व्रत करने वाले और केले के पेड़ की पूजा करने वाले लोगों को गुरुवार के दिन केला नहीं खाना चाहिए. केले के पेड़ की पूजा में इन नियमों का पालन करना चाहिए. सुबह-सुबह उठकर मौन व्रत का पालन करते हुए स्नान करें. इसके बाद केले के वृक्ष को प्रणाम कर जल चढ़ाएं. घर के आंगन में यदि केले का वृक्ष लगा हो, तो उस पर जल ना चढ़ाएं बाहर के केले के वृक्ष में ही जल चढ़ाएं. केले के वृक्ष पर हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें. अक्षत और पुष्प चढ़ाकर केले के पेड़ की परिक्रमा करें. अगर आप गुरुवार को केले के पेड़ की पूजन करते हैं तो आप पर गुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु की कृपा होगी.


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