पटनाः Kharmas 2022: हिंदी पंचांग के अनुसार यह पौष माह जारी है. नक्षत्रों और ग्रहों की गतियों के अनुसार पौष माह में सूर्य देव जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस संक्रांति के बाद से सूर्यदेव की आकाशीय गति धीमी हो जाती है. जिसके कारण धरती पर दिन छोटे और रातें बड़ी हो जाती हैं. इसके साथ ही शीत का प्रभाव बढ़ जाता है. पंचांग में इस अवधि को खरमास कहा जाता है.


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नहीं होते हैं मांगलिक कार्य
ज्योतिष और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. यानि कि इस दिन के बाद एक बार फिर शहनाई बजना बंद हो जाएगी. इसके बाद मकर संक्रांति के बाद फिर से विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे. खरमास को ईश्वर का मास बताया गया है. इस दौरान मांगलिक कार्य भले ही वर्जित हों, लेकिन अन्य पुण्य के कार्य किए जाते हैं. 


क्या करें क्या नहीं
खरमास में क्या करें क्या नहीं, इसे लेकर लोगों में भ्रांतियां रहती हैं. खरमास में दान करने के महत्व को बताया गया है. कहते हैं कि दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इन दिनों में कभी भी व्रत रखकर ईश्वरीय अनुष्ठान किए जाते हैं. जो भी व्रत किए जाते हैं, इस समय में उनका अक्षय फल मिलता है, इसके साथ ही अगर कोई दोष है तो वह खत्म हो जाते हैं. जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा जरूर करें. खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है.


खरीदारी के लिए नहीं है मनाही
खरमास में नए कपड़े, ज्वेलरी, मकान, वाहन और रोजमर्रा की जरूरी चीजों की खरीदारी के साथ ही उनका इस्तेमाल कर सकते हैं.  इस महीने में नए रत्न-आभूषणों की खरीदारी तो कर सकते हैं लेकिन, मान्यता है कि खरमास में इन्हें धारण नहीं करना चाहिए.


न करें ये शुभ काम
खरमास में फल प्राप्ति की कामना से होने वाले सभी कार्य जैसे- किसी भी प्रयोजन के व्रत-उपवास की शुरुआत, उद्यापन, कर्णवेध, मुंडन, यज्ञोपवीत, गुरुकुल से विदाई, विवाह और प्रथम तीर्थ यात्रा वर्जित है.