पटना :  आगामी 11 अक्टूबर को जेपी नारायण की जयंती समारोह के लिए पटना के बिक्रम प्रखंड स्थित असपुरा नगर सिंचाई विभाग कार्यालय के समीप बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता विवेक शर्मा ने की. बैठक में स्थानीय लोगों ने आगामी 11 अक्टूबर को जेपी की जयंती समारोह मनाए जाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया. मौजूद लोगों ने आरोप लगाया है कि बिहार के बिक्रम प्रखंड स्थित असपुरा में पले-बढ़े जयप्रकाश नारायण का स्थान आज भी उपेक्षित है. आजतक किसी भी पार्टी की सरकार ने उस स्थान पर जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा स्थापित करवाने या उस पावन स्थल का विकास नहीं करवाया. 


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भ्रष्टाचार, महंगाई, शोषण व भेदभाव को लेकर होगी जनक्रांति  
जानकारी के अनुसार बैठक में उपस्थित लोगों ने बताया कि इस बार जेपी की जयंती पर बिक्रम से एक जनक्रांति की शुरुआत होगी. जिस धरती पर जेपी पले-बढ़े एवं प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की है वहां की मिट्टी ने उनमें क्रांतिकारी जोश भरने का कार्य किया है.उस जगह का इतिहास में कोई स्थान नहीं होना अत्यंत निंदनीय व दुर्भाग्यपूर्ण है. इसबार उनकी जयंती पर पुनः इसी धरती से भ्रष्टाचार, महंगाई, शोषण व भेदभाव जैसे मुद्दों को लेकर सम्पूर्ण जनक्रांति की शुरुआत की जाएगी.


सरकारों पर लोकनायक की उपेक्षा का आरोप
स्थानीय लोगों ने बताया कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पिता असपुरा सिंचाई विभाग में जिलेदार के पद पर कार्यरत थे. तब जेपी ने अपने पिता के आवास में रहकर यहीं से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी. आज वह आवास खंडहर में तब्दील हो गया है . प्रदेश की किसी भी सरकार ने इसकी सुध लेने की जहमत नही उठाई. स्थानीय लोगों ने प्रदेश की विभिन्न सरकारों पर इस धरती की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की . बैठक में लोगों ने उनके तत्कालीन आवास में स्थानीय संसाधन से जेपी की प्रतिमा स्थापित कर पार्क का निर्माण करवाने का भी निर्णय लिया .


समाजवाद की लड़ाई रहेगी जारी 
समाजसेवी शशि भूषण ने कहा कि यह धरती जिसने जेपी जैसे लाल को उपजाया है इसकी उपेक्षा अब बर्दाश्त नही की जाएगी. स्थानीय लोगों ने विवेक शर्मा के नेतृत्व में जेपी जयंती पर पुनः सम्पूर्ण जनक्रांति की शुरुआत करने का फैसला ले लिया है. उन्होंने कहा कि बिक्रम की धरती पर महात्मा गांधी दो बार आये और गांधी आश्रम बनाया, सुभाषचांद्र बोष आये, जहां से जेपी जैसे लाल में क्रांति की उपज हुई वह धरती आज आजादी के 75 वसन्त गुजरने के बाद भी क्यों उपेक्षित है ? आजादी का अमृत महोत्सव मनाने वालों ने बिक्रम की उपेक्षा करने का कार्य किया. हम बिक्रम के लोग समाजवाद की लड़ाई लड़ते रहे हैं और आगे भी यह लड़ाई जारी रहेगी.


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