पटनाः Maa Brahmacharini Puja Vidhi: नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. माता का स्वरूप बहुत ही अलौकिक माना गया है. देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों पहलुओं पर काफी महत्व है. ब्रह्मचारिणी यानि ब्रह्मचर्य का पालन कराने वाली. माता का यह स्वरूप तपस्वी का है. यहां ब्रह्मचर्य का अर्थ तप से है. ब्रह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ है आचरण कराने वाली यानि तपमय जीवन यापन करने वाली. हम सभी अपने जीवन में किसी ना किसी तप का पालन करते हैं. फिर चाहे वह हमारे कार्यक्षेत्र में मिलने वाली कठिनाई हो या फिर हमारे निजी जीवन की चुनौतियां.


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ये है मां के नाम का अर्थ
तप का अर्थ सिर्फ तपस्या से नहीं है बल्कि अपने जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने से है. तो इस दिन माता की आराधना हमें जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करने का बल देती है. यदि हम अपने शरीर की बात करें तो माता ब्रह्मचारिणी की आराधना से हमारे शरीर का स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होता है. जो कि मन के शुद्धिकरण और विचारों को नियंत्रित करने में मदद करता है. इस चक्र के जागृत होने पर हमारे अंदर साहस में बढ़ोत्तरी होती है.


मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि -
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद सफेद अथवा पीले रंग के कपड़े धारण करें. इसके बाद पूजा घर की साफ सफाई कर नवरात्रि के लिए स्थापित किए गए कलश में मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें.
मां को सफेद रंग की पूजन सामग्री जैसे कि मिश्री, शक्कर या पंचामृत अर्पित करें. घी का दिया जलाकर मां की प्रार्थना करें. दूध, दही, चीनी, घी और शहद का घोल बनाकर मां को स्नान करवाएं. मां की पूजा करें और उन्हें पुष्प, रोली, चन्दन और अक्षत अर्पित करें.
इसके बाद बाएं हाथ से आचमन लेकर दाएं हाथ से उसे ग्रहण करें. हाथ में सुपारी और पान लेकर संकल्प लें. इसके बाद नवरात्रि के लिए स्थापित कलश और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें.आरती संपन्न होने पर अपने हाथों में पुष्य लेकर माता रानी का ध्यान करें और इस मंत्र का उच्चारण या जाप करें।


या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


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