Maa Kalratri Upay: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि को काल यानी समय और डर का अंत करने वाली देवी माना जाता है. उनकी पूजा करने से जीवन में फैला अंधकार, भय और अशुभ ग्रहों के दोष दूर होते हैं. देवी भागवत पुराण के अनुसार शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे राक्षसों ने स्वर्ग में आतंक मचा दिया था. तब सभी देवता भगवान शिव के पास सहायता मांगने गए और भगवान शिव ने माता पार्वती से देवताओं की रक्षा करने का अनुरोध किया. माता पार्वती ने देवी दुर्गा का भयंकर रूप धारण किया और राक्षसों का नाश किया.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही डरावना और शक्तिशाली है. उनका शरीर काला होता है, और उनके तीन नेत्र होते हैं. उनके बाल बिखरे रहते हैं और गले में बिजली जैसी चमक होती है. वह गधे पर सवार होती हैं. मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध किया और उसका खून पी लिया ताकि वह पृथ्वी पर गिरकर और राक्षस न बना सके. उनकी पूजा से सभी दोष दूर होते हैं और भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है.


मां कालरात्रि की आराधना करने से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है और धन की प्राप्ति होती है. उनकी पूजा करने से भय और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है. मां कालरात्रि के मंत्र का जाप करने से बीमारियां भी दूर होती हैं. उनकी पूजा में रातरानी का फूल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह फूल उन्हें बहुत प्रिय है. साथ ही नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों का भोग चढ़ाना चाहिए. गुड़ उन्हें बहुत प्रिय होता है और इसे प्रसाद के रूप में चढ़ाने से वे जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं. 


आचार्य के अनुसार मां कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं. जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ होता है या जिन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव होता है, उन्हें मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. इससे शनि दोष समाप्त होता है और जीवन में शांति आती है. साथ ही यदि आपको बार-बार बुरे सपने आते हैं या मन में डर बना हुआ है, तो नवरात्रि के सातवें दिन लाल वस्त्र धारण करके 'ॐ कालरात्रि नमः' मंत्र की एक माला का जाप करें. इससे बुरे सपने दूर होंगे और मन का भय खत्म होगा.


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